मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘एक समूची जाति के निस्तेज होने की अपेक्षा मैं हिंसा को हजार बार अच्छा समझूंगा।’
ऐसे साफ वचन बोलने वाले व्यक्ति के जन्म दिन पर एक बात कहने की आज सख्त जरूरत है।कुछ लोगों को यह बात कड़वी लग सकती है।पर यह बोलने की हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है।
 कुछ देसी और विदेशी तत्व इस देश को हथियारांंे के बल पर तोड़ना चाहते हैं।निस्तेज बनाना चाहते हैं।
ऐसे कुछ अन्य तत्व हथियारों के बल पर इस देश की सत्ता पर कब्जा करना चाहते हैं।उन तत्वों ने अघोषित युद्ध छेड़ रखा है।
हमारे बीच के कुछ नादान व वोट लोलुप तत्व ऐसे लोगों की जाने -अनजाने मदद कर रहे हैं।वे चाहते हैं कि ऐसे लोगों के मानवाधिकार हम चिंता करते रहें।यहां लोकतंत्र के विभिन्न स्तम्भ भी ऐसे विध्वंसक तत्वों के खिलाफ उतना कठोर नहीं हैं जितना कुछ अन्य देशों में होते हंै। 
  इस विषम स्थिति में एक ‘नरम राज्य’ के रूप में हमारा व्यवहार हमें अंततः कहां ले जाएगा ?
दुनिया के कम से कम तीन देशों की चर्चा यहां मौजूं होगा।
अपने देश के भीतर व बाहर के ऐसे तत्वों की तरफ चीन, इजरायल और अमरीका का व्यवहार देख लीजिए। 
अब भी हम सबक सीखें अन्यथा देर -सवेर .....।




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