बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

करीब डेढ़ दशक पहले धनबाद के जिला परिवहन 
कार्यालय से लिट्टे के प्रभाकरण के नाम ड्राइविंग लाइसेंस जारी हुआ था।उससे एक बार फिर यह साबित हुआ था कि  पैसे के बल पर यहां कोई भी कुछ भी करा सकता है।
  प्रभाकरण प्रकरण के समय ही इस देश के शासकों को चेत जाना चाहिए था।
पर, अपने देश के शासक तो धीमी गति के समाचार की तरह हैं।
 हाल में हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर से बातचीत में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह स्वीकार किया कि ‘इस  देश में 30 प्रतिशत ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी हैं।
इसे रोकने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस का ई-रजिस्ट्रेशन शुरू किया जा रहा है।’
  याद रहे कि सड़क दुर्घटनाओं में हर साल इस देश में डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है।वैसे उसमें चार प्रतिशत की कमी का दावा मंत्री ने किया है।
  जब आप सड़क पर निकलेंगे तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आप कब उन 30 प्रतिशत ड्रायवरों में से किसी एक के सामने आ जाएं !
  जिस राज्य में राजीव गांधी के हत्यारे का भी ड्राइविंग लाइसेंस भी बन जा सकता है,वहां तो यह आंकड़ा 30 प्रतिशत से अधिक ही होगा।मंत्री ने तो औसत राष्ट्रीय आंकड़ा बताया है। 

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