शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

मैंने अपने छात्र जीवन में एक धर्माेपदेशक को सुना था।
वे कह रहे थे कि लोग पैसे में अनंत को खोजते हैं।यानी उन्हें अनंत पैसे चाहिए।
पर पैसे तो अनंत नहीं हैं।अनंत तो सिर्फ ईश्वर है।उसी में खुद को विलीन कर लो।
 यदि तुम्हारे पास एक लाख रुपए हैं तो तुम चाहोगे कि एक करोड़ हो जाए।एक करोड़ हो गया तो चाहोगे एक अरब हो जए ।फिर जीवन भर खरब,नील,पद्म और संख की ओर दौड़ लगाने की कोशिश करते रहोगे।
  पर रुपए तो अनंत नहीं हैं।इसलिए रुपए के चक्कर में तुम कभी सुखी और संतुष्ट नहीं हो सकते ।
हां, ईश्वर अनंत है।असीमित है।उसमें खुद को समाहित कर दो।तुम्हें अपार सुख मिलेगा।
  आज के अर्थ लोलुप लोगों को देख कर वह उपदेश कभी -कभी याद करता हूं।
देखता हूं कि कई लोगों के जीवन में बेशुमार दौलत अपार परेशानियां भी लाती हंै।कई साल पहले मुम्बई में दौलत के लिए एक सगे भाई ने भाई की हत्या कर दी।भाई नामी हस्ती था।
उसने नाजायज तरीके से कुछ अरब कमाए थे।भाई ने कहा कि उसमें से दो अरब मुझे दे दो।पैसे के चक्कर में कई लोगों को जेल की चक्की पीसनी पड़ती है।
इस तरह के अनेक दुःख -तकलीफें भोगनी पड़ती है।
पर जब होश आते हैं तब तक देर हो चुकी होती है।
काश ! छात्र जीवन में ही कोई  उपदेशक अर्थ का घन चक्कर छोड़ने के लिए किशोर मन को समझाता।
शायद उनमें से कुछ छात्रों पर असर पड़ जाता।  

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