एम.जी.आर.को 1988 में और
पटेल को 1991 में भारत रत्न !!!
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हर साल उनकी जयंती के अवसर पर कुछ लोग यह सवाल पूूछते हैं ।
‘भारत रत्न’ एम.जी.आर.को 1988 में और सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनके तीन साल बाद यानी 1991 में क्यों दिया
गया ?
क्या देश के निर्माण में एम.जी.आर.का योगदान पटेल की अपेक्षा अधिक था ?
किसका कितना योगदान था,यह पूरा देश जानता है।
पर, इस मामले में सरदार पटेल की उपेक्षा ने यह साबित कर दिया कि भारत रत्न या कोई अन्य पद्म पुरस्कार देने की कोई भी कसौटी नहीं रही है।
यह अंधे की रेबड़ी की तरह है।
खुशवंत सिंह ने एक बार लिखा था कि मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि पद्म पुरस्कार देने का आधार क्या है।
पटेल को 1991 में भारत रत्न !!!
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हर साल उनकी जयंती के अवसर पर कुछ लोग यह सवाल पूूछते हैं ।
‘भारत रत्न’ एम.जी.आर.को 1988 में और सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनके तीन साल बाद यानी 1991 में क्यों दिया
गया ?
क्या देश के निर्माण में एम.जी.आर.का योगदान पटेल की अपेक्षा अधिक था ?
किसका कितना योगदान था,यह पूरा देश जानता है।
पर, इस मामले में सरदार पटेल की उपेक्षा ने यह साबित कर दिया कि भारत रत्न या कोई अन्य पद्म पुरस्कार देने की कोई भी कसौटी नहीं रही है।
यह अंधे की रेबड़ी की तरह है।
खुशवंत सिंह ने एक बार लिखा था कि मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि पद्म पुरस्कार देने का आधार क्या है।
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