बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

गांधी के संदर्भ में दो टिप्पणियां
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‘‘दिन -रात गांधी के नाम की माला जपने वाले नेताओं ने उनकी कन बातों का अनुसरण किया है ?
क्या वाकई वे गांधी की नीतियों पर चलते हैं ?
भारत के हुक्मरानों ने बीते 70 वर्षों में उनकी किस बात को माना ?
 सिर्फ प्रतिमाओं,तस्वीरों ,करेंसी नोटों और सड़कों के नामों में कैद होकर रह गए गांधी।’’
                              ----- अखिलेश शर्मा
बल्कि आजादी के बाद के सत्ताधारियों ने गांधी के विचारों के उलट काम किए।
कम से कम दो उदाहरण यहां पेश हैं जिनसे देश को सर्वाधिक नुकसान हो रहा है।
भ्रष्टाचार और वंशवाद-परिवारवाद।
1934 में बिहार के विनाशकारी भूकम्प के राहत कार्यों के लिए मिले चंदे के पैसों मंे गड़बड़ी हुई तो गांधी ने उस पर भारी क्षोभ प्रकट किया था।
एक अन्य घटना के तहत  बिहार सरकार के एक मंत्री के भ्रष्टाचार की खबर पर गांधी ने उसे मंत्री पद से हटा देने की सलाह दी थी।
पर वह सलाह नहीं मानी गई।
गांधी ने राजनीति में अपने वंश या परिवार के किसी सदस्य को आने नहीं दिया।
  इन दो मुद्दों पर आजादी के बाद से ही उनका क्या हाल रहा है जो गांधी का नाम लेते कभी थकते नहीं ? !!!!!
                            ---  सुरेंद्र किशोर 

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