रविवार, 6 अक्तूबर 2019


सुधांशु त्रिवेदी उत्तर प्रदेश से राज्य सभा के उम्मीदवार होंगे।
ज्ञानवान,विचारवान और शालीन सुधांशु जैसे व्यक्तियों के लिए
ही राज्य सभा बनी थी।
पर हाल के दशकों में कैसे -कैसे लोगों से उसे भरा गया, यह पूरा देश जानता है।
बारी से पहले और निर्धारित समय से अधिक बोलने वालों की तो भरमार ही रही है।
नाहक चिल्लाने वालों,अशालीन बातें करने वालों, शोरगुल -हंगामा करने वालों के कारण राज्य सभा की गरिमा बुरी तरह प्रभावित होती रही है।
  इस बीच सुधांशु त्रिवेदी का चयन साफ हवा के झोंके की तरह हंै।मैं उन्हें सिर्फ उन्हें इलेक्ट्रानिक चैनलों के जरिए जानता हूं।
कुछ चैनलों के ‘कुक्कड़ भुकाओ कार्यक्रमों’ में भी सुंधाशु हमेशा अपनी शालीनता बनाए रखते हैं।उत्तेजनाओं के बीच भी।
काश ! अन्य दल भी अपने बीच के सुधांशुओं को ही राज्य सभा में भेजते। हालांकि हर जगह सुधांशु नहीं मिला करते।
वैसे गैर राजनीतिक क्षेत्रों में सुभाष कश्यप और प्रकाश सिंह जैसी हस्तियों को राज्य सभा में रहना चाहिए था।उनके अनुभवों से देश को लाभ मिलता।
इन दोनों की तरह इस देश में कई अन्य लोग भी हैें।
मैंने तो सिर्फ समझाने के लिए यहां दो नाम लिए।यह देश बड़ा है।
काश ! कभी  वैसा दिन भी आता जब राजनीतिक दल राज्य सभा की गरिमा को पुनस्र्थापित करने की दिशा में 
गंभीरता से काम करते !
उम्मीद तो नहीं है, पर,सदिच्छा रखने पर रोक भी तो नहीं है !

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