रविवार, 27 अक्टूबर 2019

हमारे लोकतंत्र का ताजा हाल !!
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1.-18 हजार करोड़ रुपए का हिसाब नहीं 
दे रहे हैं बिहार के मुखिया।
--- 6 अक्तूबर, 2019 के एक अखबार की खबर
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2.-बिहार सरकार के इंजीनियरों ने विधायक फंड के 764 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं दिया।
---3 अक्तूबर 2019 की खबर
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3.-इस बरसात में जब पटना डूब गया तो कहा गया कि अरबों के बजट वाले पटना नगर निगम में जारी भारी भ्रष्टाचार के कारण ही ऐसा हुआ।
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4.- भ्रष्टाचार के आरोप में जब शरद पवार के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अपनी सक्रियता बढ़ाई तो पवार के स्वजातीय मतदाताओं में से अधिकतर लोगों ने इस चुनाव में पवार के प्रति सहानुभूतिपूर्ण एकजुटता दिखा दी ।
5.-ऐसी ही एकजुटता भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे हरियाणा के कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ वहां के जाट मतदाताओं ने  दिखाई ।
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इस तरह की कहानियों की इस देश में कमी नहीं है।
इससे कोई दल अछूता भी नहीं है।
किसी दल पर कम आरोप हैं तो किसी पर अधिक।
हाल में यह खबर आई थी कि गत लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए डी.एम.के.ने सी.पी.आई. को 15 करोड़ और सी.पी.एम.को 10 करोड़ रुपए दिए थे।
डी.राजा ने कहा कि यह चुनावी चंदा था।
ऐसे अनोखे चंदे की खबर पहली बार सुनी गई।
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त्रिपुरा की सी.पी.एम.सरकार के मंत्री रहे बादल चैधरी 630 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में इसी महीने गिरफ्तार कर लिए गए।
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हरि अनंत ,हरिकथा अनंता !!!!!!!
----सुरेंद्र किशोर--27 अक्तूबर 2019

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