सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

अपनी जड़ों से जुड़ें !
..........................................  
आज के अखबार में एक महत्वपूर्ण खबर छपी है।
एम्स, भोपाल के अध्ययन में एक आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक दवा को एक प्रमुख बैक्टीरिया संक्रमण के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।
   अभी -अभी मैंने भी आयुर्वेदिक दवाओं को बैक्टीरिया संक्रमण में अत्यंत प्रभावी पाया।
करीब एक सप्ताह पहले मैं खांसी-सर्दी से परेशान था।
किसी चिकित्सक के यहां जाने ही वाला था कि संयोग से स्वयंप्रकाश जी का फोन आ गया।
मेरी भारी आवाज सुनकर उन्होंने कहा कि ‘मैं
आपको दवा भिजवाता हूं।’
उन्होंने दवाएं भिजवाईं।
श्रीश्री की दवाएं थीं।
दवाएं गजब की कारगर साबित हुईं।
अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।
असावधानी से पिछले 
साल भी मौसम के संक्रमणकाल में मैं इसी तरह ‘संक्रमण’ परेशान हो गया था।
तब एलोपैथिक दवाएं ली थीं।
ठीक होने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगा।
साथ ही, शरीर पर एंटीबाॅयटिक का प्रतिकूल असर भी पड़ा।
कई दिनों तक कमजोरी महसूस हुई ।
इस बार कमेजारी नाम की कोई चीज नहीं।
मैं अक्सर  कहता हूं कि 
आयुर्वेद लोअर कोर्ट है।
होमियोपैथ हाई कोर्ट और एलोपैथ सुप्रीम कोर्ट।
अधिकतर लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं।
हां,आयुर्वेद दवाओं में गुणवत्ता होनी चाहिए।
स्वामी रामदेव ने योग व आयुर्वेद के क्षेत्र में युगांतरकारी काम किया है।
उन्होंने योग को आसान बनाकर उसे घर- घर पहुंचाया।
प्रारंभिक दिनों में उनके आयुर्वेदिक दवाएं और भोज्य-खाद्य  पदार्थ भी गुणवत्तापूर्ण रहे।
पर, पतंजलि का जब भारी विस्तार होने लगा तो उन्होंने गुणवत्ता पर उतना  ध्यान नहीं दिया जितना देना चाहिए था।
  पर श्रीश्री की सामग्री अभी तो गुणवत्तापूर्ण लग रही है।
आगे जो हो !़      

कोई टिप्पणी नहीं: