रविवार, 6 अक्टूबर 2019

रणछोड़ राहुल गांधी !
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महाराष्ट्र-हरियाणा विधान सभा चुनाव के दस दिन पहले 
राहुल गांधी विदेश चले गए।
जिसे कांग्रेस के अधिकतर नेताओं-कार्यकत्र्ताओं ने अपना ‘अर्ध-देव’ माना, वह रणछोड़ निकला !
वंशवाद-परिवारवाद से इससे अधिक नुकसान किसी पार्टी व देश का भला और क्या हो सकता है ?
कमजोर व गैर जिम्मेवार प्रतिपक्ष सत्ता को यदि तानाशाह नहीं तो मनमर्जी  करने वाला जरुर बना सकता है।
  संकेत बता रहे हैं कि इस राजनीतिक शैली से कांग्रेस को अभी और अधिक नुकसान होने वाला है।
ऐसा ही नुकसान एक -एक कर अन्य वंशवादी-परिवारवादी दलों का भी होगा।होना शुरू हो चुका है।
 क्या संविधान निर्माताओं ने कभी इस स्थिति की कल्पना की थी ?
वंश के नाम पर अयोग्य लोगों को शीर्ष पर बैठाओ और उसका नतीजा भुगतो।
  वंशवाद-परिवारवाद अब अधिकतर दलों को ग्रसता चला जा रहा है। 
पर, इस मामले में विभिन्न दलों में थोड़ा अंतर है।
कुछ दल वंश-परिवार में ही समाहित है।
कुछ अन्य दलों में वंशवाद-परिवारवाद प्रवेश करता जा रहा है।बढ़ता जा रहा है।
पहली किस्म की पार्टियों को वंश-परिवार तानाशाह की तरह संचालित करते हैं।
दूसरी किस्म की पार्टियों में वंशवादी मौजूद जरुर हैं,पर वे पार्टी को निदेशित नहीं करते।
  हालांकि वहां भी धीरे -धीरे वंशवाद-परिवारवाद बढ़ता जा रहा है।
यह गति जारी रही तो वह दिन दूर नहीं जब 90 प्रतिशत सीटों पर निवत्र्तमान सांसदों-विधायकों के ही वंशज या परिजन चुनाव लड़ेंगे।
फिर राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं के लिए जगह कहां रहेगी ?
नहीं रहेगी।
सांसद-विधायक फंड के ठेकेदार गण हर जगह कार्यकत्र्ता की भूमिका निभाएंगे। अनेक स्थानों में निभा भी रहे हैं।

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