जय प्रकाश नारायण की पुण्य तिथि पर
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सत्तासीन जनता पार्टी के बारे में 1977 में जय प्रकाश नारायण ने बडे़ दुख के साथ कहा था कि
‘ये लोग भी उसी तरह बंगलों में रह रहे हैं।
वैभवपूर्ण बंगला प्राप्त करने के लिए मंत्रियों के बीच होड़ लगी हुई है।
सांसदों ने संपत्ति की घोषणा नहीं की।
उन्हें जिंदगी भर पेंशन देने की घोषणा को भी तुरंत बंद करने की बात थी,
लेकिन इस बारे में भी कुछ नहीं किया गया।
चुनाव खर्च कम करने ,
भ्रष्टाचार समाप्त करने और
जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।’
इस सबसे उन्हें यानी जेपी को हार्दिक व्यथा हुई।
लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जनता सरकार के इरादों पर संदेह न करते हुए उसे एक वर्ष का समय दिया।
जब उनके मापदंड़ों पर सरकार खरी नहीं उतर पाई तो उन्होंने 5 जून 1978 को सार्वजनिक रूप से वक्तव्य दिया,
‘जनता सरकार भी पिछली सरकार के ही रास्ते पर चल रही है।
लोग उम्मीद खो रहे हैं क्योंकि जनता पार्टी उनकी अपेक्षा पर खरी नहीं उतर रही है।’
--सुधांशु रंजन की पुस्तक ‘जय प्रकाश नारायण’ से।
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सत्तासीन जनता पार्टी के बारे में 1977 में जय प्रकाश नारायण ने बडे़ दुख के साथ कहा था कि
‘ये लोग भी उसी तरह बंगलों में रह रहे हैं।
वैभवपूर्ण बंगला प्राप्त करने के लिए मंत्रियों के बीच होड़ लगी हुई है।
सांसदों ने संपत्ति की घोषणा नहीं की।
उन्हें जिंदगी भर पेंशन देने की घोषणा को भी तुरंत बंद करने की बात थी,
लेकिन इस बारे में भी कुछ नहीं किया गया।
चुनाव खर्च कम करने ,
भ्रष्टाचार समाप्त करने और
जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।’
इस सबसे उन्हें यानी जेपी को हार्दिक व्यथा हुई।
लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जनता सरकार के इरादों पर संदेह न करते हुए उसे एक वर्ष का समय दिया।
जब उनके मापदंड़ों पर सरकार खरी नहीं उतर पाई तो उन्होंने 5 जून 1978 को सार्वजनिक रूप से वक्तव्य दिया,
‘जनता सरकार भी पिछली सरकार के ही रास्ते पर चल रही है।
लोग उम्मीद खो रहे हैं क्योंकि जनता पार्टी उनकी अपेक्षा पर खरी नहीं उतर रही है।’
--सुधांशु रंजन की पुस्तक ‘जय प्रकाश नारायण’ से।
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