--अभेद्य सीमा के बिना देश की सुरक्षा कैसे ?--
नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान और बांग्ला देश से लगी
7419 किलोमीटर भारतीय सीमा पर अभेद्य बाड़ लगाने का काम श्ुारू कर दिया है।
पहले की घेराबंदी में कुछ जगह स्थिति ऐसी जर्जर है कि हल्के धक्के से ही वह ध्वस्त हो जा सकती है।
घेराबंदी का काम आरलैंड की एक कंपनी को दिया गया है।
प्रति किलोमीटर 1.99 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
पर नेपाल सीमा पर घुसपैठियों को कैसे रोका जाए,इस संबंध में सरकार की ओर से अभी कोई स्पष्टता नहीं है।
यह चिंताजनक बात है।
आजादी के तत्काल बाद से ही मजबूत घेराबंदी का यह काम सरकार को करना चाहिए था।
पर ‘‘अपनी खास दुनिया’’ में जी रही तब की सरकार तो कहती थी कि बाड़ लगाने से दुनिया के सामने हमारे देश की छवि खराब हो जाएगी।
पर छवि कौन कहे,देश की ही स्थिति ही जब खराब होने लगी तो कुछ दशक पहले बड़े पैमाने पर बाड़ लगाने का काम शुरू हुआ।
पर मजबूती का ध्यान नहीं रखा गया।
उन दिनों अपुष्ट चर्चा यह भी थी कि लोहे के खम्भे की ऊंचाई थोड़ी कम करवा कर कुछ प्रभावशाली लोगों ने खुद को मालामाल कर लिया था।
अब जो अभेद्य घेराबंंदी होनी है, वह छ्रिद्रदार जंगरोधक स्टील से होगी।
उसे पार पाना दुश्मनों के लिए मुश्किल होगा।
अभेद्य सीमा के बिना देश की सुरक्षा कैसे ?
बाहरी घुसपैठियों को रोक देने से भीतर के घातियों से भी निपट लेना सरकार के लिए आसान हो जाएगा।
---सुरेंद्र किशोर--11 जनवरी 2020
नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान और बांग्ला देश से लगी
7419 किलोमीटर भारतीय सीमा पर अभेद्य बाड़ लगाने का काम श्ुारू कर दिया है।
पहले की घेराबंदी में कुछ जगह स्थिति ऐसी जर्जर है कि हल्के धक्के से ही वह ध्वस्त हो जा सकती है।
घेराबंदी का काम आरलैंड की एक कंपनी को दिया गया है।
प्रति किलोमीटर 1.99 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
पर नेपाल सीमा पर घुसपैठियों को कैसे रोका जाए,इस संबंध में सरकार की ओर से अभी कोई स्पष्टता नहीं है।
यह चिंताजनक बात है।
आजादी के तत्काल बाद से ही मजबूत घेराबंदी का यह काम सरकार को करना चाहिए था।
पर ‘‘अपनी खास दुनिया’’ में जी रही तब की सरकार तो कहती थी कि बाड़ लगाने से दुनिया के सामने हमारे देश की छवि खराब हो जाएगी।
पर छवि कौन कहे,देश की ही स्थिति ही जब खराब होने लगी तो कुछ दशक पहले बड़े पैमाने पर बाड़ लगाने का काम शुरू हुआ।
पर मजबूती का ध्यान नहीं रखा गया।
उन दिनों अपुष्ट चर्चा यह भी थी कि लोहे के खम्भे की ऊंचाई थोड़ी कम करवा कर कुछ प्रभावशाली लोगों ने खुद को मालामाल कर लिया था।
अब जो अभेद्य घेराबंंदी होनी है, वह छ्रिद्रदार जंगरोधक स्टील से होगी।
उसे पार पाना दुश्मनों के लिए मुश्किल होगा।
अभेद्य सीमा के बिना देश की सुरक्षा कैसे ?
बाहरी घुसपैठियों को रोक देने से भीतर के घातियों से भी निपट लेना सरकार के लिए आसान हो जाएगा।
---सुरेंद्र किशोर--11 जनवरी 2020
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