गुरुवार, 30 जनवरी 2020

    सार्वजनिक स्थानों के शौचालयों की स्थिति दयनीय
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पटना के आशियाना-दीघा रोड पर स्थित रामनगरी मोड़ पर
व्यस्त बाजार है।
वहां के एक मशहूर मार्केट में पहले एक शौचालय हुआ करता था।
कई महीनों बाद परसों वहां गया तो देखा कि शौचालय में 
बाहर से ताला बंद था।
   वैसे भी वह बहुत गंदा रहता था।
मार्केट की दुकानों के मालिक चाहते तो उसकी साफ-सफाई का प्रबंध चंदा करके करवा सकते थे।
   पर,लगता है कि इस काम में पैसे लगाना उन्हें फिजूलखर्ची लगती है।
इसलिए दुकानदानों ने तो अपने लिए शौचालय का वहां प्रबंध कर लिया है,पर वे ग्राहकों का कोई ध्यान नहीं रखते ।
जबकि, उनकी कमाई गाहकों से ही है।नतीजतन खरीददार महिलाओं को तकलीफ होती है।
   इस मामले में पटना या यूं कहें कि अपवादों को छोड़कर इस देश के सार्वजनिक स्थानों के शौचालयों की हालत चिंताजनक है। इसकी उपेक्षा  आपराधिक है।
एक तो शौचालय है नहीं।
हैं भी तो जर्जर और भीषण बदबूदार।
अधिकतर लोगों ने शौचालयों का इस्तेमाल भी नहीं सीखा। 
 हालांकि उम्मीद की गई थी कि लोगबाग पढ़-लिख जाएंगे तो शौचालयों का इस्तेमाल करना सीख जाएंगे।
    पटना के मौर्या लोक के शौचालयों में तो आम तौर पर पढ़े-लिखे लोग ही जाते हैं।
उन्हें भी नरक बना रखा है लोगों ने।
उसके रख -रखाव की स्थिति दयनीय है।
  स्कूलों में शौचालयों का इस्तेमाल बच्चों को सिखाना चाहिए।
कहा गया है कि 
किसी व्यक्ति की सुरुचिसम्पन्नता का पता इस बात से नहीं चलता कि वह अपना ड्राइंग रूम कितना ढंग से रखता है,बल्कि इस बात से चलता है कि उसका शौचालय कैसा है !
   इस बात पर अभी शोध नहीं हुआ है कि इस देश के सार्वजनिक स्थानों में शौचालयों की कमी और भीषण गंदगी के कारण कितने लोग हर साल बीमार पड़ते हैं।
  याद रहे कि नब्बे के दशक में बम्बई में अपने  अनशन के दौरान पेशाब घर के अभाव के कारण पूर्व प्रधान मंत्री वी.पी.सिंह उसका इस्तेमाल नहीं कर सके,नतीजतन  उनकी किडनी खराब हो गई।  
--सुरेंद्र किशोर --30 जनवरी 2020

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