बुधवार, 29 जनवरी 2020

    फिर कैसा देश बनेगा यह ???
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  वे लोग आखिर इस देश को कैसा मुल्क बनाना चाहते हैं ?
इसे टुकड़े -टुकड़े क्यों करना चाहते हैं ?
यह सवाल उनसे है ,
आज जो सी.ए.ए.के खिलाफ आंदोलनरत हैं ।
उनसे भी जो इन आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे हैं।
उन्हें आर्थिक मदद कर रहे हैं।
कानूनी सहायता पहुंचा रहे हैं।
   उन आंदोलनकारियों व उनके समर्थकों का अन्यायपूर्ण ‘न्याय’ तो देखिए।
वे रोहिंग्याओं और बंगलादेशी घुसपेठियों का तो भारत में स्वागत कर रहैं।
पर पाक-बं.देश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना
के कारण यहां शरण लिए लोगों को बसाना नहीं चाहते।
     मान लीजिए कि पांच करोड़ --एक अनुमान-घुसपैठिए भारत में बस जाएं।बस ही चुके हैं।
ऐसे अन्य घुसपैठियों के लिए भी बोर्डर खोल दिए जाएं।
इधर 2 करोड़ -फिर अनुमानित आंकड़ा-शरणार्णियों को भारत में शरण न लेने दिया जाए। 
फिर कल्पना कर लीजिए कि यह देश अंततः कैसा बनेगा ?
क्या तब इराक और सिरिया से यह बेहतर रह जाएगा ?
   आंदोलनकारियों को संसद,सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है।
  क्या यह मध्य युग है कि लोग सिर्फ तलवार पर 
भरोसा करें ?
ऐसा हुआ तो कैसा रह जाएगा यह देश ?
कैसा बन जाएगा भारत जिसे अभी हिन्दुस्तान भी कहा जाता है ?
  असहिष्णुता की बहुत बात होती रही है।
कई दिनों  तक कुछ लोग मुंह पर रूमाल बांध कर पुलिस पर रोड़े बरसाते रहे।
सार्वजनिक संपत्ति को अपार क्षति पहुंचाते रहे।
अब कई रास्तों को जाम करके लाखों लोगों को रोज -रोज कष्ट पहुंचा रहे हैं।
  फिर भी आम जनता की ओर से प्रतिकार नहीं हो रहा है।
पुलिस पर सब कुछ सह रही है।
और कितनी सहिष्णुता चाहिए ???
क्या सहिष्णुता की कोई सीमा भी होती है या नहीं होती ?!
  --सुरेंद्र किशोर-28 जनवरी 2020

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