करीब तीन दशक पहले की बात है।
बिहार विधान सभा के पूर्व स्पीकर त्रिपुरारि प्रसाद सिंह
दिल्ली के बिहार भवन के बंद कमरे में जाड़े की रात में हीटर जला कर सो गए थे।
दम घुटने से उनका निधन हो गया।
इस दुखद घटना से हमें शिक्षा लेनी चाहिए थी।
पर नहीं।
पर,लगता है कि वह हमारी आदत में शुमार नहीं है।
कल खबर आई कि इसी तरह की दुर्भाग्यपूण परिस्थिति में बरेली में एक मेडिकल छात्रा की मौत हो गई।
यानी हमने एक और बहुमूल्य जीवन खो दिया।
सरकारों को चाहिए कि वह कम से कम जाड़े के दिनों में अखबारों में विज्ञापन के जरिए लोगों को बताए कि हीटर जलाने के दौरान कैसी सावधानी बरतनी चाहिए।
बिहार विधान सभा के पूर्व स्पीकर त्रिपुरारि प्रसाद सिंह
दिल्ली के बिहार भवन के बंद कमरे में जाड़े की रात में हीटर जला कर सो गए थे।
दम घुटने से उनका निधन हो गया।
इस दुखद घटना से हमें शिक्षा लेनी चाहिए थी।
पर नहीं।
पर,लगता है कि वह हमारी आदत में शुमार नहीं है।
कल खबर आई कि इसी तरह की दुर्भाग्यपूण परिस्थिति में बरेली में एक मेडिकल छात्रा की मौत हो गई।
यानी हमने एक और बहुमूल्य जीवन खो दिया।
सरकारों को चाहिए कि वह कम से कम जाड़े के दिनों में अखबारों में विज्ञापन के जरिए लोगों को बताए कि हीटर जलाने के दौरान कैसी सावधानी बरतनी चाहिए।
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