मंगलवार, 28 जनवरी 2020

  केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्र 
की हत्या पर कोई फिल्म क्यों नहीं ?
  - -सुरेंद्र किशोर --
लल्लन टाॅप के सौरभ द्विवेदी की फिल्म निदेशक विवेक अग्निहोत्री के साथ बातचीत सुनकर अभी -अभी खत्म किया है।
विषय -लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मृत्यु पर बनी 
फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स।’
   इसे देख कर एक विचार आया।
ललित नारायण मिश्र की हत्या पर कोई फिल्म क्यों नहीं ?
ललित बाबू हत्या के समय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के बाद देश के सर्वाधिक  ताकतवर सत्ताधारी थे।  
 शास्त्री जी की मौत को तो कोई हत्या कह सकता है तो कोई मौत।
क्योंकि कोई सबूत ही नहीं छोड़ा गया।
पर एल.एन.मिश्र की हत्या को तो सिर्फ हत्या ही कहा जा सकता है।
और कुछ भी नहीं।
कोई देखना चाहे तो मिश्र हत्याकांड  में उच्चत्तम स्तर की साजिश साफ-साफ नजर आ सकती है।
   यदि आर.टी.आई.लगाई जाए तो शासन बताएगा कि मिश्र की हत्या में आनंदमार्गियों का हाथ था।
किंतु उस पर ललित बाबू के किसी परिजन से आप टिप्पणी मांगेंगे तो वे या तो चुप हो जाएंगे या कहेंगे कि आनंद मार्गियों से ललित बाबू की कोई दुश्मनी नहीं थी।
जिन आनंद मार्गियों को दिल्ली का लोअर कोर्ट उस केस में सजा भी दे चुका है,उनसे कोई दुश्मनी नहीं थी !!!?
ऐसी टिप्पणी आपको  चैंकाएगी नहीं  ?
 1975 के मिश्र हत्याकांड के दो हत्यारों के स्वीकारात्मक बयान न्यायिक पदाधिकारियों के समक्ष दफा-164 में पहले दर्ज करा लिए गए थे।
पर तथाकथित  उच्चस्तरीय निदेश पर सरकारी तोता सी.बी.आई.ने समस्तीपुर में अपनी इंट्री मारी, सक्रिय होकर बिहार पुलिस से वह केस छीना और असली गुनाहगारों को साफ बचा लिया।
   सी.बी.आई.को केस सौंपने की कागजी औपचारिकता तब की अब्दुल गफूर सरकार ने बाद में पूरी की।
--सुरेंद्र किशोर
27 जनवरी 2020


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