सोमवार, 20 जनवरी 2020

अपनी हाल की गलतियों से भी नहीं 
सीखते कुछ राजनीतिक दल
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समकालीन इतिहास से भी नहीं सीखते आज के कुछ नेतागण।
मध्ययुगीन इतिहास तो सही -सही पढ़ाया ही नहीं गया,उससे भला वे क्या सीख पाएंगे !!
  सन 2004 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने 
‘शाइनिंग इंडिया’ के नशे  में चूर होकर 1999 के अपने कई
प्रमुख सहयोगी दलों को राजग से ‘भगा’ दिया।
नतीजतन 2004 में अटल सरकार की हार तो पहले से ही तय थी।
   हाल के झारखंड विधान सभा चुनाव में भी भाजपा ने उसी तरह की गलती की।
भाजपा ने आजसू से तालमेल नहीं किया।
ताजा चुनाव परिणाम के आंकड़े बताते हैं कि 13 क्षेत्रों में भाजपा और आजसू को  मिले मतों का जोड़ महा गठबंधन के वोट से अधिक था।
कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्य मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा है कि भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए हमने शिवसेना से समझौता करके सरकार बनाई।
 ऐसे मामले में कांग्रेस बिहार के अपने कटु अनुभव को भी भूल गई।
लालू प्रसाद-राबड़ी देवी के ‘जंगल राज’ को आप क्यों समर्थन देते हैं,
इस सवाल के जवाब में कांग्रेस और सी.पी.आई.नेतागण तब  लगातार यह कहते रहे कि हम 
‘‘सांप्रदायिक तत्वों को बिहार में सत्ता में आने से रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैंं।’’
  नतीजता यह हुआ कि न तो वे ‘सांप्रदायिक तत्वों’ यानी भाजपा को बिहार में सत्ता में आने से रोक नहीं सके बल्कि कांग्रेस-सीपीआई अपनी पहले की राजनीतिक ताकत भी कायम नहीं रख सकी।


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