बुधवार, 22 जनवरी 2020

देखता हूं कि जिनके पास जानकारियां कम हैं या फिर जिनके तर्कों में दम नहीं होता,अक्सर वे शाब्दिक हिंसा पर उतर आते हैं।
  टी.वी.डिबेट और सोशल मीडिया पर यह अक्सर देखा जा
सकता है।
दरअसल कई बार तर्कों में दम इसलिए भी नहीं होता क्योंकि
बहस करने वाले पढ़ाई-लिखाई में कम समय देते हैं।
   आप चाहे जिस किसी पक्ष में भी हों,यदि आप जानकारियां अधिक इकट्ठी करके चर्चा करेंगे तो आपको लोग गंभीरता से लेंगे।
भले वे कई बार आपसे फिर भी सहमत न हांे।
लेकिन शाब्दिक हिंसा ,मंशा पर शक और नीचा दिखाने की प्रवृत्ति आपको अंततः अनेक लोगों 
से काट देगी। 
--सुरेंद्र किशोर--22 जन. 20

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