बुधवार, 1 जनवरी 2020

  किसी अन्य देश में नहीं मिला करती 
  देश विरोधियों को ऐसी शह
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नागरिक संशोधन कानून लागू होने से करीब 2 करोड़ शरणार्थी गैर मुस्लिम इस देश के नागरिक व मतदता बन जाएंगे।
  राष्टीय नागरिक रजिस्टर बनने से करीब 5 करोड़ मुस्लिम
मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे।
   इससे बंगलादेशी मतदाताओं के बल पर चुनाव जीतने और राज करने वालों की राजनीति बदल जाएगी।
उधर मुस्लिम मतदाताओं के घटने से कुछ लोगों की धार्मिक महत्वकांक्षा पूरी होने मेंं बाधा आ जाएगी।ै
हा सकता है कि 2 करोड़ और 5 करोड़ वाली संख्या बढ़ा चढ़ाकर जा रही हो।
  पर मूल बात यही है।
इन दोनों कामों के हो जाने से भी वास्तविक भारतीय की स्थिति में, चाहे वे हिन्दू हों या मुस्लिम कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
पर सिमी,पी.एफ.आई. और इंडियन मुजाहिद्दीन व उनके विदेशी संरक्षक के लक्ष्य में फर्क पड़ेगा।
  इस देश में आज भी ऐसे मुसलमान बड़ी संख्या में हैं जो सी.ण्.ण्. और एन.आर.सी. के विरोधी नहीं हैं।
  पर जिन्हें गुमराह किया जा रहा है,वे उद्वेलित हैं।चूंकि उधर
वे उद्वेलित हैं,इसलिए वोटलोलुप सेक्युलर दलों के नेता भी देश की सुरक्षा की परवाह किए बिना आंदोलनरत हैं और अतिवादी व देश तोड़क संगठनों की पीठ ठोक रहे हैं।
  मोदी सरकार ने एन.आर.सी.के मामले में अपने पैर पीछे खींच लिए हैं।
  पर समस्या तो बढ़ती जाएगी।
उधर वोट लोलुप दल किस तरह अतिवादी संगठनों को वर्षों से बढ़ावा देते रहे हैं,उसके कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रह हैं।उस बढ़ावा से उनका मनोबल बढ़ा है।
ऐसा किसी अन्य देश में नहीं होता।
  यदि मोदी सरकार इस समस्या को हल करने में विफल होगी तो कोई दूसरी कठोर सरकार आएगी जो इसे हल करने की कोशिश करेगी।
यदि कोई जनमत संग्रह हो तो पता चलेगा कि पिछले महीने देश भर में हिंसा कव जो नंगा नाच किया गया और सेक्युलर दलों ने उनकी निेदा करने के बदल पुलिस की ही आलोचना की,उसे आम जनता ने किस रूप् में लिया है।
   अब कुछ पिछली बातें जानिए--
    उत्तर प्रदेश सरकार ने सिमी से जुड़े संगठन पाॅपुलर
फं्रट आॅफ इंडिया पर प्रतिबंध की सिफारिश कंेद्र से करने का निर्णय किया है।
सिमी पर 2001 में ही प्रतिबंध लग चुका है।
पी.एफ.आई. और आई.एम.का गठन सिमी वालों ने ही किया है।
  हथियारों के बल पर भारत में इस्लामिक शासन स्थापित 
करने की कोशिश में लगे इन प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की संलिप्तता के सबूत मिलने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने यह निर्णय किया है।
इससे पहले केरल की वाम सरकार ने 2918 में पी.एफ.आई.पर प्रतिबंध लगाने की केंद्र से सिफारिश की थी।
झारखंड सरकार पहले ही पी.एफ.आई.पर प्रतिबंध लगा चुकी है।
  ऐसे खतरनाक संगठनों को इस देश के कुछ तथाकथित सेक्युलर दलों के नेताओं ने किस तरह समय -समय पर उन्हें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बढ़ावा दिया,मदद की,उसके कुछ नमूने यहां पेश हैं।
  
   उन्हीं मदद के कारण आज ये अतिवादी संगठन भीतर भीतर इतने ताकतवर हो चुके हैं कि वे देश को हिला रहे हैं।
इन्हें हमारे देश के तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक दलों व बुद्धिजीवियों ने खाद-पानी देकर पनपाया ताकि उन्हें मुसलमानों के बड़े हिस्से के वोट मिल सकें।
   ओसामा बिन लादेन को अपना ‘शेर’ मानने वाले इन संगठनों के बारे में कब किसने क्या कहा,उसकी एक झलक संक्षप में यहां दी जा रही है।
 वैसे पूरी कहानी तो बहुत लंबी व भयानक है।
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सन 2001
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उनकी राष्ट्रविरोधी व हिंसक गतिविधियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2001 में सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया।
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3 सितंबर 2001
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सरकार ने सिमी पर जो प्रतिबंध लगाया है,वह मेरी दृष्टि में जायज नहीं है।
     ---शाही इमाम ,फतेहपुरी मस्जिद
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‘‘गुजरात दंगों के बाद दंगों की प्रतिक्रिया में इंडियन मुजाहिद्दीन का गठन हुआ।’’
         ---डा.शकील अहमद,
     कांग्रेस महा सचिव--21 जुलाई 2013
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सिमी पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए था।
--मुलायम सिंह यादव
7 अगस्त 2008
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मन मोहन सिंह सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सिमी के लोग जेहाद का प्रचार कर रहे हैं और कश्मीर में आतंकवादियों की पूरी मदद
कर रहे हैं।
....टाइम्स आॅफ इंडिया .....21 अगस्त 2008 -- 
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राम विलास पासवान ने सिमी पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की।
        ---12 अगस्त 2008 
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कश्मीर के  अलगाववादी नेता 
सैयद अली शाह जिलानी ने कहा कि 
सिमी पर प्रतिबंध नागरिक अधिकार पर हमला है।
--29 सितंबर 2001
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सिमी से प्रतिबंध हटाए जाने के ट्रिब्यूनल के निर्णय पर भाजपा ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए इसका ठीकरा गृह मंत्री शिवराज पाटिल पर फोड़ा है।
     ---6 अगस्त 2008
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हालांकि फिर प्रतिबंध लगाना पड़ा
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रेल मंत्री लालू प्रसाद ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि  सिमी पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।
यदि लगता है तो शिव सेना और दुर्गा वाहिनी पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
-----टाइम्स आॅफ इंडिया--7 अगस्त 2008
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यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग से मिलकर यह मांग की कि सिमी समर्थक दलों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
   ----19 अगस्त 2008
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सिमी के अहमदाबाद के जोनल सेके्रट्री साजिद मंसूरी ने 2001 में  मीडिया से  बातचीत  में कहा था कि ‘जब हम सत्ता में आएंगे तो सभी मंदिरों को नष्ट कर देंगे और वहां मस्जिद बना देंगे।’ 
मंसूरी का बयान 30 सितंबर 2001 के  अखबार में छपा था। 
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2012 में पश्चिम बंगाल के डी.जी.पी.एन.मुखर्जी ने कहा था कि सिमी के जरिए आई.एस.आई.ने माओवादियों से तालमेल बना रखा है।
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2001 में जब सिमी पर  केंद्र सरकार ने लगाया तो प्रतिबंध के खिलाफ सलमान खुर्शीद सिमी के वकील थे।
तब वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे।
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 स्थापना के समय  सिमी जमात ए इस्लामी हिंद से जुड़ा संगठन था।
पर जब 1986 में सिमी ने ‘इस्लाम के जरिए भारत की मुक्ति’ का नारा दिया तो जमात ए इस्लामी हिंद ने उससे अपना संबंध तोड़ लिया।
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केंद्र सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध लगाने के लिए जो मापदंड अपनाए,वे अपने आप में पर्याप्त नहीं हैं।
      ---- इम्तियाज अहमद,
             प्रोफेसर जे.एन.यू
              30 सितंबर 2001
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मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए सिमी पर प्रतिबंध लगाने का स्वागत किया,पर बजरंग दल पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई।
   ---पायनियर--29 सितंबर 2001
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भाजपा के पूर्व महा सचिव गोविंदाचार्य ने सिमी की तरफदारी पर रेल मंत्री लालू प्रसाद की आज कड़ी निंदा की और आर.एस.एस.पर प्रतिबंध की मांग को अल्पसंख्यक की राजनीति का हिस्सा करार देते हुए नकार दिया।
------इंदौर--19 अगस्त 2008
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सिमी के संविधान में भारत को मजहबी आधार पर बांटने की बात स्पष्ट रूप से दर्ज है।
-----सी.बी.आई.के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह
   --22 सितंबर 2008 ,राष्ट्रीय सहारा  
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लोकतांत्रिक तरीके से इस्लामिक शासन संभव नहीं है।उसके लिए एकमात्र रास्ता जेहाद है।
-------सिमी सदस्य अबुल बशर--
28 सितंबर 2008--राष्ट्रीय सहारा 
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‘‘जेहाद के नाम पर बिहार में भड़काया जाने लगा है एक वर्ग को।’’
    ----बिहार पुलिस की  खुफिया शाखा की रपट
             22 सितंबर 2001
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