इस देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के साथ एक खास दिक्कत है।
उन्हें लगता है कि कुत्तों को हिलाने का काम पूंछ ही कर
सकती है।
जबकि, वास्तविकता यह है कि कुत्ता ही अपनी पूंछ हिला सकता है।
यह भी सच है कि बिना पूंछ का कुत्ता नहीं शोभता !
हालांकि कुछ कुत्तों का काम बिना पूंछ का भी चल ही सकता है।
पर, कट कर अलग हुई पूंछ अकेली भला क्या करेगी !?
चारा-पानी के बिना मर जाएगी !
अवास्तविक दुनिया में जी रहे ऐसे ही कुछ बुद्धिजीवी कभी -कभी डगरा के बैगन बन जाते हैं--जैसे नेताओं के बीच के आदतन दलबदलू !!!
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...सुरेंद्र किशोर --30 जनवरी 2020
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