शनिवार, 25 जनवरी 2020

  किसी व्यक्ति के बारे में कोई भी अन्य व्यक्ति, जैसी चाहे वैसी राय रखने के लिए स्वतंत्र है।
पर मैं यदि  किसी मुद्दे पर वही राय नहीं रखता जो राय आपकी है,तो क्या मैं आपके यहां जाकर  बिना मांगे आपको उपदेश या सलाह देने लगूंगा ?
  आपसे झगड़े पर उतारू हो जाऊंगा ?
आपकी मंशा पर शक करूंगा ?
उम्र में छोटे- बड़े का भी लिहाज छोड़ दूंगा ?
मेरा तो यह स्वभाव भी नहीं ।
 उसके लिए मेरे पास समय भी नहीं।
पर सोशल मीडिया के इस दौर में ऐसी धृष्ठता यदा -कदा कुछ लोग करते रहते  हैं।
शायद वे किन्हीं तक संदेश पहुंचाना चाहते हैं।
या अपनी श्रेष्ठता स्थापित करना चाहते हैं।
अरे भई ,आप तो श्रेष्ठ हैं हीं,
यदि आपने वैसा मान ही लिया है तो उसे चेलेंज भला कौन कर सकता है ?
आप उपदेश देने लायक भी हैं।
पर एक ही बात का ध्यान रखिए।
जो मांगे, उसे ही उपदेश दीजिए।
  मैं तो ऐसे उपदेशक लोगों से बहस में पड़ने की जगह उन्हें अनफं्रेड कर देता हूं।
यह तो अधिकार मेरा है न ! ?
या यह भी नहीं है ?
--सुरेंद्र किशोर
24 जनवरी 2020

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