सोमवार, 6 जनवरी 2020

जनता को जानने का पूरा अधिकार है !!
.............................................................
कांग्रेस सेवा दल प्रमुख लालजी भाई देसाई द्वारा प्रकाशित पुस्तिका से सावरकर-गोडसे के बारे में नई पीढ़ी के लोगों का सामान्य ज्ञान बढ़ा है।
पर, जिस किताब को उधृत करते हुए देसाई ने वह प्रकरण लिखा है,उसी पुस्तक के प्राक्कथन में तथा अन्यत्र लोगों की जानकारियां  बढ़ाने वाली कुछ अन्य बातें भी हैं।
जाहिर है कि देसाई उन बातों को नहीं लिखेंगे। 
  डोमिनीक लापिएर एवं लैरी काॅलिन्स लिखित ‘फ्रंीडम एॅट मिडनाइट’ --हिंदी संस्करण-के प्राक्कथन में दर्ज है कि
 ‘‘माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं के साथ लगातार बातचीत के बारे में अपनी पत्नी की मदद ली थी और कई मौकांे पर तो वह नेहरू तक अनाधिकारिक तौर पर संदेश पहुंचाने के लिए लेडी माउंटबेटेन का इस्तेमाल भी करते थे।’’
    सामान्य ज्ञान बढ़ाने वाली ऐसी कई अन्य पुस्तकें भी आ चुकी हैं।
उनमें सबसे गरमागरम सूचनाएं एम.ओ.मथाई की दो पुस्तकों में हैं।
पर,वे प्रतिबंधित हैं।
मथाई 13 साल तक प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का निजी सचिव था।
  1978 में उसकी किताबें आने के बाद ‘‘परिवार भक्त’’खुशवंत सिंह इतने नाराज हुए कि लिख मारा कि ‘‘मथाई को चैराहे पर कोड़े लगाए जाने चाहिए।’’
  मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि नेताओं के निजी जीवन के विचलन-फिसलन  का कोई कुप्रभाव उनके सार्वजनिक जीवन या देश पर नहीं पड़ता।
   प्रभाव पड़ने के अनेक उदाहरण हैं।
इसलिए जिसे जहां से बन पड़े ,उन्हें इतिहास में दर्ज कर दे।
तथाकथित सेक्युलर इतिहासकार ,तथाकथित सांप्रदायिक नेताओं के फिसलन-विचलन को लिख दंे ।
और, तथाकथित सांप्रदायिक इतिहासकार तथाकथित सेक्युलर नेताओं के विचलन-फिसलन पर कलम चला दे।
तब ही जनता के सामने पूरी तस्वीर आ पाएगी।
सूचना में शक्ति है।
सिर्फ एक उदाहरण यहां पेश है-
इस देश के एक बड़े व तिकड़मबाज व्यापारी की नई पत्नी ने एक प्रधान मंत्रंी को एक पार्टी में सार्वजनिक रूप से चूम लिया।
उस पार्टी में मंत्री,अफसर व व्यापारी भी थे।उन्हीं पर अपना असर डालने के लिए व्यापारी ने यह काम करवाया।
  उस व्यापारी के बारे में बाद में खबर आई कि वह एल.आई.सी.से लिया गया भारी कर्ज बिना चुकाए विदेश भाग गया। 
  कुल मिलाकर कहना यह है कि लोगों को मालूम होना चाहिए कि समकालीन युग के हमारे नेताओं ने अपने अच्छे या बुरे कामों से देश का कितना भला या नुकसान किया।
ताकि, आगे शिक्षा ली जा सके।
   मध्य युग के इतिहास का एकतरफा व गलत लेखन संभव था।
पर समकालीन इतिहास का नहीं।
क्योंकि, सूचनाओं के प्रवाह के अब कई रास्ते उपलब्ध हैं।
   

कोई टिप्पणी नहीं: