जीवन में पहली बार देखूंगा कश्मीरी पंडितों के दर्द को बयां करने वाली फिल्म शिकारा।
महसूस करूंगा उन आवाजों को जो रात के अंधेरों में दबा दी
गईं।
जानूंगा अपने ही देश में कश्मीरी पंडित शरणार्थी कैसे ?
क्या तब मानव अधिकार ,बुद्धिजीवी, कैंडल मार्च वाले लोग भारत में नहीं थे ?
--- स्वामी दीपांकर
दैनिक जागरण-19 जनवरी 2020
महसूस करूंगा उन आवाजों को जो रात के अंधेरों में दबा दी
गईं।
जानूंगा अपने ही देश में कश्मीरी पंडित शरणार्थी कैसे ?
क्या तब मानव अधिकार ,बुद्धिजीवी, कैंडल मार्च वाले लोग भारत में नहीं थे ?
--- स्वामी दीपांकर
दैनिक जागरण-19 जनवरी 2020
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