मंगलवार, 7 जनवरी 2020


   सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है कारगर कार्रवाई
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सी.बी.आई.ने कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को अनुशंसा भेजी है।
मामला शेल्टर होम में गड़बडि़यों का है।
  जिन पर कार्रवाई होनी है,उनमें डी.एम.पद पर रहे 25 आई.ए.एस. अफसर भी शामिल हैं।
इतनी बड़ी संख्या में आई.ए.एस.अफसरों के खिलाफ सबक सिखाने लायक कार्रवाई कोई राज्य सरकार कर दे,यह असंभव सा काम लगता है।
अब तक के अनुभवों के आधार पर कह रहा हूं।
हां,यदि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो सरकार कार्रवाई के लिए विवश हो जाएगी।
  जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार आदि के मामले में कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं तो मुख्य मंत्री भला क्या कार्रवाई करेंगे !
प्रधान मंत्री जिस तरह ‘‘लेटरल बहालियां’’ कर रहे हैं,उसी तरह राज्यों में भी बहालियां होनी चाहिए।
  उधर सांसद फंड अफसरों -नेताओं के भ्रष्टाचार का ‘रावणी अमृत कुंड’ बना हुआ है।
अधिकतर आई.ए.एस.अफसर अपने सेवाकाल के प्रारंभिक वर्षों में ही इस फंड के जरिए खास तरह का ‘मंत्र’ सीख ले रहे  हैं।
  उस फंड को भी मोदी जैसे ईमानदार प्रधान मंत्री चाहते हुए भी खत्म नहीं कर पा रहे हैं।
 अटल जी व मन मोहन सिंह तो अपने कार्यकाल में इस फंड को बढ़ाने को मजबूर हो गए थे।जबकि, वे इस फंड की बुराई को अच्छी तरह जानते थे।
दरअसल  फंड में अधिकतर सांसदों का निहित स्वार्थ है।
उस निहितस्वार्थ को पराजित करने की ताकत किसी ईमानदार प्रधान मंत्री में भी नहीं रही है।
जबकि इस फंड में जारी रिश्वतखोरी  के कारण सांसद की सांसदी भी जा  चुकी है।हालांकि स्टिंग आपरेशन नहीं होता तो उसकी भी सांसदी नहीं जाती।
  किंतु सुुप्रीम कोर्ट चाहे तो सांसद फंड पर भी रोक लगा सकता है।
 यह अत्यंत जरूरी है।
क्योंकि जब तक अधिकतर सांसद,सब सांसद नहीं,
सांसद फंड में कमीशन लेते रहेंगे ,तब तक आई.ए.एस.पर रोक कैसे लग पाएगी ?
जब तक बड़े -बड़े भ्रष्ट अफसरों  पर रोक नहीं लगेगी, तब तक देश में भ्रष्टाचार कम कैसे होगा ?  
  देश में भ्रष्टाचार कम नहीं होगा तो हमारी सेना को समुचित मात्रा में युद्ध सामग्री भी नहीं मिल पाएगी।
क्योंकि संसाधनों की लूट जारी है।
भ्रष्टाचार में लूट जारी रही तो अस्पतालों में संसाधनों की कमी के कारण बच्चे मरते रहेंगे।
सभी सरकारी स्कूलों के लिए भवन,बेंच,टीचर व अन्य संसाधन नहीं मिल पाएंगे।
 इस गरीब देश में शिक्षा,स्वास्थ्य व सुरक्षा सरकार नहीं संभालेगी तो कौन संभालेगा ?
भ्रष्टाचार कम किए बिना कई अन्य तरह के वैसे जरूरी काम भी नहीं हो पाएंगे,  देश की बाहरी-भीतरी सुरक्षा के लिए जिनकी सख्त जरूरत है। 
आज दोनों तरह के खतरे इतने बढ़ चुके हैं जितने खतरे इससे पहले कभी नहीं थे।
 --सुरेंद्र किशोर--7 जनवरी 2020

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