सोमवार, 13 जनवरी 2020

राजदीप,सोहराबुद्दीन और माफीनामा 
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इस राजदीप सरदेसाई प्रकरण से असावधान 
मीडिया को नसीहत लेनी चाहिए।
  राजदीप ने सोहराबुद्दीन प्रकरण को लेकर एक
खबर दी, आरोप लगाया।
पर केस होने पर उसे वह साबित नहीं कर सके।
नतीजतन राजदीप को माफी मांगनी पड़ी।
ऐसी स्थिति से एक बार मुझे 
भी गुजरना पड़ा है।
पत्रकारिता के वे मेरे प्रारंभिक साल थे।
  जिस सज्जन ने मुझसे माफी मंगवाई,उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि आपने एक शब्द भी गलत नहीं लिखा है।
पर मेरे खिलाफ आपके पास एक आरोप का भी सबूत नहीं है।
  मैं तब से लिखने में सावधान हो गया।उस सज्जन के प्रति गुस्सा के बदले मेरे दिल में सम्मान है।उन्होंने मुझे राह दिखाई। 
आज भी यदि मेरे पास सबूत नहीं होता तो अपने फेसबुक वाल पर भी ,जिसका मैं ही लेखक -सह-संपादक होता हूंं-किसी का नाम तक नहीं लिखता।
   राजदीप सरदेसाई का झुकाव-रुझान  जगजाहिर है।
उससे किसी को कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए।
हां,तथ्य सही हो,किसी पत्रकार से इसकी मांग स्वाभाविक है।
मैं सरदेसाई से कभी मिला नहीं।
कोई परिचय नहीं।
इसकी कोई जरूरत भी नहीं।
पर  वैसे कुछ अन्य पत्रकारों सेे उन्हें मैं बेहतर मानता हूंं  जो बिलकुल एकतरफा हैं।
इस मामले में मैं राजदीप का  प्रशंसक हूं कि पिछले कई विधान सभा चुनावों के दौरान उनकी भविष्यवाणियां सही साबित हुईं।
उन्होंने अपने स्वाभाविक रुझान से अलग हट कर भविष्यवाणी की थी।
   मोदी-शाह या किसी अन्य को नापसंद या पसंद करना किसी पत्रकार का भी संवैधानिक अधिकार है।
पर यदि आप किसी नेता को नापंसद करते हैं तो उसके खिलाफ कुछ लिखने से पहले अपेक्षाकृत अधिक सावधानी बरतें और पहले ही पूरा सबूत जुटा लें।
  सोशल मीडिया पर तो इन दिनों भारी अराजकता है।
जो लोग जिम्मेदार व्यक्ति हैं ,वे सोशल मीडिया पर बस एक ही बात का ध्यान रख सकते हैं।
जो बातें आम प्रसार वाले अखबारों में नहीं छप सकतीं, या नहीं छपतीं, वैसी बातें सोशल मीडिया में कत्तई न लिखें।
सोशल मीडिया आम लोगों के लिए बहुत बड़ा साधन है,वैसे लोगों के लिए खास तौर पर जिनकी आम मीडिया तक पहुंच नहीं है।
इसकी रक्षा करें। यानी ,इसका सिर्फ सदुपयोग ही करें।
सुरेंद्र किशोर--13 जनवरी 2020

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