‘‘इहां कुम्भड़ बतिया कोई नाहीं’’
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आज न तो इमर्जेंसी है और न ही 1947 की तरह देश
की शासन -व्यवस्था-सेना आदि अ-सुगठित व कमजोर है।
आज देश की अधिकतर जनता भी देश की एकता के
प्रति अपेक्षाकृत अधिक भावुक व प्रतिबद्ध है।
इसलिए कोई गलतफहमी में न रहे।
--सुरेंद्र किशोर--28 जनवरी 2020
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आज न तो इमर्जेंसी है और न ही 1947 की तरह देश
की शासन -व्यवस्था-सेना आदि अ-सुगठित व कमजोर है।
आज देश की अधिकतर जनता भी देश की एकता के
प्रति अपेक्षाकृत अधिक भावुक व प्रतिबद्ध है।
इसलिए कोई गलतफहमी में न रहे।
--सुरेंद्र किशोर--28 जनवरी 2020
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