बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

 अघोषित युद्ध और कानून-व्यवस्था
 की  समस्या का फर्क समझिए !
    --सुरेंद्र किशोर--
पी.एफ.आई.-शरजील -शाहीन बाग फेनोमेना दरअसल 
भारत के खिलाफ अघोषित युद्ध है ।
उसे  बारी -बारी से भुट्टो और जिया उल हक  
ने शुरू किया था। आज के पाक  हुक्मरानों ने भी जारी रखा है।
  वह युद्ध अब खतरनाक स्वरूप ग्रहण कर रहा है।
एक कह रहा है कि हमारे लिए अलग देश दे दो।दूसरा कह रहा है कि हम असम को भारत से काट देंगे।
हमारे मंच पर ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ का नारा लगेगा।हमारी शत्र्तों पर ही कोई भी हमारे आंदोलन का समर्थन करेगा।
   पर, हमारी सरकार इसे अब भी कानून -व्यवस्था के रूप में ले रही है।समस्या की होमियोपैथिक दवा चाहती है।शुभकामना हैकि वह सफल हो।
  पर सफल नहीं होगी तो पछताएगी।
प्रतिपक्ष कव बड़ा हिस्सा इसे उसके पक्ष में वोट बैंक मजबूत होता दिख रहा है।लगता है कि मध्य युग की कहानी दुहरा रही है।
यहां के अल्पसंख्यकों के बीच के अच्छे तत्व भी परेशान हैंं।बेबश हैं।
याद रहे कि कानून -व्यवस्था से निपटने के नियम अलग हैं और युद्ध के अलग।
  इस बात को भारत सरकार जितनी जल्दी समझ ले,उतना ही अच्छा होगा।
अन्यथा, देर हो जाएगी।
  दरअसल हम देर से जगते हैं।
पचास-साठ के दशकों ने जब चीन ने तिब्बत को हथियाना शुरू किया तो हमारे प्रधान मंत्री ने कहा था कि वहां तो घास का एक तिनका भी नहीं उगता।
  नतीजतन चीन 1962 में हम पर चढ़ बैठा और जब हम असम को नहीं बचा पा रहे थे तो उसी प्रधान मंत्री ने रोना रोया कि ‘‘माई हर्ट गोज टू द पिपुल आॅफ असम।’’
  उन दिनों भी भारत की एक राजनीतिक शक्ति कह रही थी कि भारत ने ही चीन पर हमला किया है।
आज भी उसी तरह की शक्तियां शाहीन बाग -शरजील के साथ हैं।
देश पर भारी खतरे के मुख्य मुद्दा को छोड़ कर वह बेरोजगारी की बात कर रही है।
  इसी तरह 1977 के चुनाव में  जनता पार्टी आपातकाल के अत्याचारों की कहानी जनता को बता रही थी।
दूसरी ओर एक दल चुनाव सभाओं में  कह रहा था कि दियोगार्सिया द्वीप पर अमरीकी कब्जा हमारे लिए समस्या है।
  जिस तरह के देशद्रोही तत्व हमारे देश में सक्रिय हैं ऐसों से चीन सरकार इसलिए सफलतापूर्वक निपट पाती है और दुनिया चूं तक नहीं बोल पाती क्योंकि चीन बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुका है।
दूसरी ओर, हमारे हुक्मरानों ने आजादी के बाद से ही समय -समय पर देश को इतना लूटा और देश-विदेश में  भारी निजी संपत्ति बना ली कि हमारा देश गरीब ही रह गया।
साधनों की कमी से बाहरी-भीतरी खतरों से पक्की सुरक्षा की हमारी पूरी तैयारी अब भी नहीं है। 
इससे देश द्रोहियों के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर पड़ रही है।
जिन के कारण लड़ाई कमजोर पड़ रही है,उनके भ्रष्टाचार को भी देशद्रोह की श्रेणी में लाना होगा।
यानी भ्रष्टों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान करना होगा।
चीन में यह प्रावधान है।
 साथ ही, आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए ‘युद्ध टैक्स’ लगाना पड़े तो भी उसे जनता को स्वीकार करना चाहिए।
क्योंकि जब हम भीतर के शत्रुओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेंगे तो बाहरी दुश्मन, भीतर के दुश्मनों से मिलकर हमें परेशान कर सकते हैं।
 यह मत भूलिए कि शरजील -शाहीन बाग का जिस पी.एफ.आई.का संबंध है,उसे सिमी वालों ने खड़ा किया है।
  प्रतिबंधित  सिमी के संस्थापक सदस्य सफदर नागौरी तथा दो अन्य को भोपाल की जिला अदालत  सात साल की सजा सुना चुकी है।
अन्य मामलों में भी देश के कई हिस्सों में सिमी और आई.एम.के ऐसे अन्य कई लोगों के खिलाफ समय- समय पर कानूनी कार्रवाइयां हुई हैं।
   देखिए यह संगठन कैसा हैं !
इसका उद्देश्य युद्ध नहीं है तो और  क्या है ?
 ऐसे लोग यदि सत्याग्रही व संविधान के रक्षक हैं तो मुंह पर रूमाल बांध कर पुलिस पर पत्थर क्यों फेंकते हैं ?
सार्वजनिक संपत्ति क्यों जलतो हैं ?
क्या गांधी जी यही करते थे ?
शरजील को यहां का कोई भी राजनीतिक दल पसंद 
क्यों नहीं ?
याद रहे कि 9 अप्रैल 2008 के ‘‘हिन्दुस्तान टाइम्स’’ के अनुसार नागौरी ने
कहा था कि 
‘‘हमारा लक्ष्य जेहाद के जरिए भारत में इस्लामिक शासन कायम करने का है।’’
.............................
5 फरवरी 2020

कोई टिप्पणी नहीं: