काया पलट के संक्रमण काल
में केंद्र का बजट !
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--सुरेंद्र किशोर--
‘‘ भ्रष्टाचार,भारतीय अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था जिसे काट दिया गया है। ’’
ऐसे ऐतिहासिक व नाजुक समय में केंद्र सरकार ने अपना बजट पेश किया है।
जब पहियों को आगे बढ़ाने वाले तत्व को ही गाड़ी से अलग कर दिया गया है तो आर्थिकी की गाड़ी कैसे चलेगी ?
कितनी चलेगी ? किस गति से चलेगी ?सामान्य स्थिति कब आएगी ?ये सवाल सामने हैं।
ऐसे निर्णायक मोड़ पर देश का बजट जैसा हो सकता था,वैसा रहा।
आगे के कुछ वर्षों तक भी लगभग ऐसा ही रहेगा,जब तक भ्रष्टाचार का ‘‘विकल्प’’ सामने न आ जाए।
यानी भ्रष्टाचार के पहिया के बिना भी गाड़ी तेज गति से चलने लगे।
बता दूं कि इस पोस्ट की पहली पंक्ति मेरी नहीं,नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी की है।गत साल उन्होंने यह बात कही थी।
--सुरेंद्र किशोर --2 फरवरी 2020
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