शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020


दोहरा मापदंड अपनाने वालों को मुझसे 
फेसबुक वाॅल पर बहस करने का हक नहीं  
      --सुरेंद्र किशोर--
1.-बंगला देशी घुसपैठियों की समस्या से पीडि़त राज्यों का  सम्मेलन सितंबर, 1992 में दिल्ली में हुआ था।
  गृह मंत्री एस. बी. चव्हाण की अध्यक्षता में असम, बंगाल, बिहार, त्रिपुरा, अरुणाचल और मिजोरम के  मुख्यमंत्री और मणिपुर, नगालैंड एवं दिल्ली के प्रतिनिधि  उस सम्मेलन में शामिल थे।
  सम्मेलन में सर्वसम्मत  यह प्रस्ताव पास हुआ कि  
‘‘देश के  सीमावर्ती जिलों के  निवासियों को परिचय पत्र दिए जाएं।’’
  1992 की उस बैठक में जिन- जिन दलों के प्रतिनिधि शामिल थे ,वे आज सी.ए.ए.-एन.पी.आर. और एन.आर.सी.का जी जान से विरोध कर रहे हैं।
ऐसे दलों के लोगों व समर्थकों को मुझसे फेसबुक वाॅल पर बहस करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं।
....................................
2.-जो लोग 2009 के वरुण गांधी के आपत्तिजनक भाषण का तो विरोध करते हैं, किंतु 2014 के इमरान मसूद के उससे भी अधिक आपत्तिजनक स्पीच का विरोध नहीं करते ,उन्हें मुझसे बतकूचन करने का हक नहीं।
मैंने समय- समय पर दोनों की लिखकर आलोचना की है।उसके रिकाॅर्ड मौजूद हैं।
वरुण ने 29 मार्च 2009 को कहा था कि जो हिन्दुओं की तरफ जो अंगुली उठाएगा,उसका हाथ काट लूंगा।
दूसरी ओर, सहारन पुर से कांग्रेस के लोक सभा उम्मीदवार इमरान मसूद ने कहा था कि नरेंद्र मोदी को बोटी -बोटी काट दूंगा।
............................................
3.-मैंने साध्वी प्रज्ञा सिंह के विवादास्पद बयानों की आलोचना की है।
साथ ही, दिग्विजय सिंह के बयानों और विवादास्पद कर्मो की भी।
मेरे ब्लाॅग और फेसबुक वाॅल पर दोनों बातें उपलब्ध हैं।
पर, जो लोग इनमें से सिर्फ एक की आलोचना करते हैं और दूसरे की तारीफ ,उन्हें मैं फेसबुक फे्रंड नहीं रहने दूंगा।
.......................................
4.-तरबेज के हत्यारों की भी आलोचना करो,पर कश्मीर के पंडितों का संहार करने वालों की भी।
तभी मुझसे बात करो।
मैं खुद ऐसी दोनों तरह की घटनाओं की निंदा करता रहा हूंं।
....................................
 5.-प्रदर्शनकारियों के मुकाबले के लिए जब -जब पुलिस बाहर निकलती है तो  खुफिया पुलिस के जवान भी सादी पोशाक में साथ में रहते रहे हैं।
यह दशकों से होता रहा है।
पर, जब से प्रदर्शनकारियों के बीच से  गोलियां और रोड़े  चलने लगे तो सादी पोशाक वाले सुरक्षा कवच पहनने लगे।
  कवच पहने खुफिया पुलिस के जवान कुछ लोगों को ए.वी.पी.पी. के कार्यकत्र्ता नजर आते हैं।
  पर  पी.एफ.आई.के लोग जब सड़कों पर उतर कर गोली -बारी और रोड़ेबाजी करते हैं तो उनकी आंखें बंद हो जाती हैं।
ऐसे ही लोगों को धर्मांध कहा जाता है।
  यदि पुलिस किसी भी आंदोलनकारी पर ज्यादती करती है कोई उसकी गोली से मरता है तो उसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।
पर सिमी-पी.एफ.आई.-एस.डी.पी.आई. के जो सदस्य जेहाद के तहत हिंसा करते- करवाते हैं,उनके खिलाफ भी तो दो शब्द बोलिए।
तभी मेरे फेसबुक वाॅल पर आइए।
यदि आप बंद दिमाग के नहीं हैं और  इन संगठनों के उद्देश्यों के बारे में कोई  शक है तो 30 सितंबर 2001 का टाइम्स आॅफ इंडिया पढ़ लीजिए।
सिमी ने लिखित घोषणा कर रखी है कि हमारा लक्ष्य हथियारों के  बल पर भारत में इस्लामिक शासन कायम करना है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार ताजा आंदोलन पी.एफ.आई.ने ही शुरू किया है।पी.एफ.आई. सिमी के लोगों ने ही बनाया है।  
.........................................
6.-बजरंग दल आदि को पानी पी- पी कर गालियां दीजिए।
पर, दो शब्द राहुल गांधी के लिए भी बोलिए जो कहते हैं कि युवा लोग नरेंद्र मोदी को डंडों से पीटेंगे।
.............................................
7.-गोधरा रेलवे स्टेशन पर हिंंसक भीड़ ने 59 कारसेवकों को जिंदा जला दिया।
उसके बाद के दंगों में दोनों पक्षों के सैकड़ों लोग मारे गए।
कारसेवक संहार की भी निन्दा कीजिए और बाद के दंगों की भी।
एकतरफा नहीं चलेगा।
....................................
8.-1989 में भागलपुर में धर्मांधों  ने एस.पी. की जीप पर बम फोड़ा।
उसकी प्रतिक्रिया में भीषण दंगे हुए।
दोनों घटनाओं की निन्दा कीजिए।
पर, क्या आप भागलपुर  दंगा के लिए तब के मुख्य मंत्री की उतनी ही जोर से आलोचना करते हैं जितनी ताकत से 2002 के गुजरात के मुख्य मंत्री की ?
  नहीं करते जबकि भागलपुर में गुजरात की अपेक्षा अल्पसंख्यकों की अधिक जानें गईं थीं।
गुजरात में दंगाइयों से लड़ते हुए 200 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
पर भागलपुर से ऐसी कोई खबर नहीं आई।
.................................   
   दोहरे मापदंड के इस तरह के इस देश में अन्य अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं जो मेरे पास भी हैं।
मैं दोनों पक्षों के गलत लोगों की हमेशा आलोचना  करता रहा हूं।
पहले आप भी ऐसा ही कीजिए, तभी मुझसे बात कीजिए। 
........................
21 फरवरी 2020 


कोई टिप्पणी नहीं: