रविवार, 2 फ़रवरी 2020

जामिया-शाहीन बाग की फायरिंग प्रति-उत्पादक !!
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कन्हैया कुमार के काफिले पर सारण में हुआ हमला निन्दनीय है।
उसी तरह जामिया के बाद शाहीन बाग की फायरिंग भी निन्दनीय है।
साथ ही, इन दोनों घटनाओं में शामिल लोग दण्डनीय भी हंै।
  मैं ऐसा इसलिए नहीं कह रहा हूं कि कन्हैया कुमार-जामिया-शाहीन अभियान प्रशंसनीय है।
  इसलिए कह रहा हूं कि जो व्यक्ति कन्हैया कुमार के काफिले पर हमले और जामिया-शाहीन  फायरिंग की निन्दा नहीं करता,उसे मुंह रूमाल बांध कर पत्थरबाजी करने वालों की निन्दा करने का भी कोई नैतिक हक नहीं है।
‘‘देश के खिलाफ काम करने वालों से’’ पुलिस-प्रशासन-सेना-न्यायालय को ही निपटने दीजिए।
  वे सक्षम हैं।
  कन्हैया जैसे लोगों पर हमला करके आप उनके प्रति कुछ वैसे लोगों में भी सहानुभूति पैदा होने का अवसर देंगे जिनकी अभी सहानुभति नहीं है।वैसे कन्हैया के समर्थकों की भी कमी नहीं है।
  अनेक लोगों की सहानुभूति इसलिए भी नहीं है क्योंकि उन लोगों पर जो आरोप हंै,उससे संबंधित मुकदमें में अभियोजन चलाने की अनुमति केजरीवाल सरकार नहीं दे रही है।
  अरे भई,यदि आपने कोई कसूर नहीं किया है तो अदालतों का सामना करने से क्यों भाग रहे हैं ?
 यहां तो तीन स्तरीय अदालतें हैं।
हर स्तर पर अन्याय ही हो जाएगा,ऐसा मानना सही नहीं ं।
--सुरेंद्र किशोर-2 फरवरी 2020

   
  

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