‘‘हम 15 करोड़ हैं लेकिन 100 करोड़ पर भारी पड़ंेगे।
प्रिय वारिस पठान जी,
ये जो जहर आप उगलते हो ना,
ये बाकी मुसलमानों को निगलना पड़ता है।
आप पूर्व एमएलए हैं,आपके साथ पुलिस है,
आपको कुछ नहीं होगा।
पीडि़त वे होते हैं जो हिन्दुओं के बीच में बहुत ही
प्रेम और भाईचारे के साथ रहते हैं।’’
--संपत सरल,कवि ,
राष्ट्रीय सहारा, 22 फरवरी 20
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साथ में, मेरी ओर से दो और बातें-
बड़े ओवैसी ने वारिस पठान से तो उस बयान को वापस करवा दिया।
पर उन्होंने अपने छोटे भाई से 15 मिनट वाले बयान को वापस नहीं करवाया। आखिर क्यों ?
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ऐसे बयानों की तरह ही ‘‘शाहीन बागों’’ का अभियान भी है।
इससे देश में धु्रवीकरण हो रहा है।
इसलिए शाहीनबागों को भी वापस कीजिए।
धु्रवीकरण से राजनीतिक तौर पर कौन मजबूत होगा ?
इसका जवाब सब जानते हैं।
यदि आपका यह ‘‘धर्म युद्ध’’ नहीं है तो आप मोदी को दिनानुदिन अनजाने में और भी मजबूत क्यों कर रहे हैं ?
अगर वास्तव में ‘‘शाहीनबाग’’ आपका धर्मयुद्ध है तब तो उसमें इस बात का कोई भी पक्ष ध्यान नहीं रखता कि युद्ध से कौन मजबूत हो रहा है और कौन कमजोर !
उसके बाद देश की तकदीर में जो होगा,वही होगा।
.........................सुरेंद्र किशोर--23 फरवरी 2020
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