नाम गुम जाएगा,
चेहरा ये बदल जाएगा,
मेरी आवाज ही पहचान है !!
---बी बी सी
..................................................
--सुरेंद्र किशोर--
बी. बी. सी. हिन्दी रेडियो सेवा बंद कर दी गई।
80 साल पहले शुरू की गई थी।
कभी के मेरे सर्वाधिक प्रिय मीडिया संगठन का
अवसान मुझे बहुत खराब लगा।
हालांकि हाल के वर्षों में मैं उसे सुन नहीं पा रहा था।
कुछ साल तक समाचार विश्लेषण का अवसर बी.बी.
सी.रेडियो ने मुझे भी दिया था।
अच्छे पैसे भी मिले थे।
इसके बंद होने के कारणों की पड़ताल जरूर होनी चाहिए ताकि अन्य मीडिया संगठन उसकी रपट से लाभ उठा सकें।
नब्बे के दशक में मैंने पटना के दैनिक ‘इंडियन नेशन’ में सिंगापुर डेटलाइन से बीबीसी. के उप प्रधान की एक महत्वपूर्ण टिप्पणी पढ़ी थी।
उनसे पूछा गया था कि बी.बी.सी. की साख का राज
क्या है ?
उन्होंने बताया कि
‘‘यदि दुनिया के किसी देश में कम्युनिज्म आ रहा है तो हम यह सूचना लोगों को देते हैं कि आ रहा है।
उसे रोकने की कोशिश नहीं करते।
दूसरी ओर, यदि किसी देश से कम्युनिज्म जा रहा है तो हम रिपोर्ट करते हैं कि जा रहा है।
हम उसे बचाने की भी कोशिश नहीं करते।
यही हमारी साख का राज है।’’
क्या बी बी सी इस बीच अपने उस ध्येय से अलग
हो चुका था ?
या, क्या कोई आर्थिक कारण रहा ?
या, यह आरोप सही है कि मोदी सरकार ने बंद करवा दिया ? ,ऐसा आरोप सोशल मीडिया में इन दिनों लगाया भी जा
रहा है।
क्या यह आरोप सही है कि बीबीसी रेडियो नकारात्मक हो गया था ?
या, फिर कोई अन्य कारण रहा जिसे दूर करना न तो व्यवस्था के वश में था और न संपादकीय विभाग के ं ?
एक समय के सर्वाधिक साख वाले इस मीडिया का तिरोहित होना पूरे मीडिया जगत के लिए भी कोई अच्छी बात नहीं है।
.....................................
1 फरवरी 2020
चेहरा ये बदल जाएगा,
मेरी आवाज ही पहचान है !!
---बी बी सी
..................................................
--सुरेंद्र किशोर--
बी. बी. सी. हिन्दी रेडियो सेवा बंद कर दी गई।
80 साल पहले शुरू की गई थी।
कभी के मेरे सर्वाधिक प्रिय मीडिया संगठन का
अवसान मुझे बहुत खराब लगा।
हालांकि हाल के वर्षों में मैं उसे सुन नहीं पा रहा था।
कुछ साल तक समाचार विश्लेषण का अवसर बी.बी.
सी.रेडियो ने मुझे भी दिया था।
अच्छे पैसे भी मिले थे।
इसके बंद होने के कारणों की पड़ताल जरूर होनी चाहिए ताकि अन्य मीडिया संगठन उसकी रपट से लाभ उठा सकें।
नब्बे के दशक में मैंने पटना के दैनिक ‘इंडियन नेशन’ में सिंगापुर डेटलाइन से बीबीसी. के उप प्रधान की एक महत्वपूर्ण टिप्पणी पढ़ी थी।
उनसे पूछा गया था कि बी.बी.सी. की साख का राज
क्या है ?
उन्होंने बताया कि
‘‘यदि दुनिया के किसी देश में कम्युनिज्म आ रहा है तो हम यह सूचना लोगों को देते हैं कि आ रहा है।
उसे रोकने की कोशिश नहीं करते।
दूसरी ओर, यदि किसी देश से कम्युनिज्म जा रहा है तो हम रिपोर्ट करते हैं कि जा रहा है।
हम उसे बचाने की भी कोशिश नहीं करते।
यही हमारी साख का राज है।’’
क्या बी बी सी इस बीच अपने उस ध्येय से अलग
हो चुका था ?
या, क्या कोई आर्थिक कारण रहा ?
या, यह आरोप सही है कि मोदी सरकार ने बंद करवा दिया ? ,ऐसा आरोप सोशल मीडिया में इन दिनों लगाया भी जा
रहा है।
क्या यह आरोप सही है कि बीबीसी रेडियो नकारात्मक हो गया था ?
या, फिर कोई अन्य कारण रहा जिसे दूर करना न तो व्यवस्था के वश में था और न संपादकीय विभाग के ं ?
एक समय के सर्वाधिक साख वाले इस मीडिया का तिरोहित होना पूरे मीडिया जगत के लिए भी कोई अच्छी बात नहीं है।
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1 फरवरी 2020
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