अब हम लौट चलें !
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कुछ माह पहले सारण जिला समता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और जदयू नेता राघव प्रसाद सिंह ने मही नदी में चेक डैम यानी छोटे बांध बनाने के लिए मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा था।
मुख्य मंत्री ने उस पत्र को कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को भिजवा दिया।
विभाग ने इस सुझाव को नहीं माना।
संभवतः विभाग बड़े- बड़े बांधों के पक्ष में रहा है।
कारण सब जानते हैं।
अब जल संरक्षण विशेषज्ञ भी कहने लगे हैं कि आने वाले भीषण जल संकट से आबादी को बचाना हो तो विकेंद्रित जल प्रबंधन करना होगा।
नीति आयोग के अनुसार 2020 तक देश के 21 बड़े शहरों के पास अपना पानी नहीं होगा।
जल पुरुष राजेंद्र सिंह के अनुसार तो अगले साल देश के 90 शहर जल संकट से कराहेंगे।
इस साल तो चेनै के जल संकट के बारे में देश ने देखा-सुना।वही हाल हर जगह होने वाला है।
दरअसल हमारे सामने संकट सिर्फ यही नहीं है।
हर तरह की मिलावट से मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है।
पर, इस देश में मिलावट करने वाले राक्षसों को रिश्वत लेकर सरकारी महकमा अभय दान दे देता रहता है।
कितनों को सजा होती है ?
गेहूं से लेकर दूध तक और पनीर से लेकर दवा तक सब मिलावटी हैं।
मैं तो कच्चा आम खरीद कर घर में पकाता हूं और मिठाई की जरूरत हो तो पटना जं.के पास महावीर मंदिर जाकर वहां का विशेष लड्डू चढ़ा कर ले आता हूं।
बाकी फल -मिठाई के फेर में आप पड़े तो देर सवेर गए काम से !
जल संकट और मिलावट से अपना शरीर और अपनी अगली पीढ़ी को बचाने के लिए लोगों को गांवों की ओर लौटना चाहिए,जो लौट सकें।
यदि आपके पास थोड़ी भी जमीन है तो वहां जाकर आप जैविक खेती कर सकते हैं। विकेंद्रित जल प्रबंधन के काम में योगदान दे सकते हैं।यदि आप कोई छोटा -मोटा रोजगार कर सकते हैं तो गांवों की ओर लौटिए। देश-विदेश से लौट कर अनेक युवजन गावों में खेती कर भी रहे हैं।जान है तो जहान है !
गांवों तक बिजली तो पहुंच ही गई है।बाकी का इंतजाम खुद करिए।पढ़े -लिखे व ईमानदार लोग स्थानीय प्रशासन पर दबाव डाल कर अनेक कागजी योजनाओं को सरजमीन पर उतार सकते हैं।
कुछ कम ही कमाइएगा,पर आप और आपका परिवार शासन प्रायोजित जहर खोरी के शिकार होने से तो बच जाएंगे।
सब लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं।पर जो कर सकते हैं,उन्हें करना चाहिए।
मुझे तो लगता है कि हमारे शासकों को भी प्रलय मंजूर है,लेकिन भोज्य व खाद्य पदार्थों में भारी मिलावट को रोकना मंजूर नहीं है।
यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि अपने देश में मिलावट के लिए सिर्फ 6 माह से लेकर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है।एक हजार रुपए जुर्माना है।जबकि बंगला देश सरकार इस अपराध के लिए फांसी या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करने पर विचार कर रहा है।
नेपाल तक हमारा फल -सब्जी गुणवत्ता की गड़बड़ी को लेकर बोर्डर पर रोक देता है।पर ,हमारे अफसर घूस लेकर न जाने कितना जहर इस देश में आने देते हैं।
जुलाई 2019
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कुछ माह पहले सारण जिला समता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और जदयू नेता राघव प्रसाद सिंह ने मही नदी में चेक डैम यानी छोटे बांध बनाने के लिए मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा था।
मुख्य मंत्री ने उस पत्र को कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को भिजवा दिया।
विभाग ने इस सुझाव को नहीं माना।
संभवतः विभाग बड़े- बड़े बांधों के पक्ष में रहा है।
कारण सब जानते हैं।
अब जल संरक्षण विशेषज्ञ भी कहने लगे हैं कि आने वाले भीषण जल संकट से आबादी को बचाना हो तो विकेंद्रित जल प्रबंधन करना होगा।
नीति आयोग के अनुसार 2020 तक देश के 21 बड़े शहरों के पास अपना पानी नहीं होगा।
जल पुरुष राजेंद्र सिंह के अनुसार तो अगले साल देश के 90 शहर जल संकट से कराहेंगे।
इस साल तो चेनै के जल संकट के बारे में देश ने देखा-सुना।वही हाल हर जगह होने वाला है।
दरअसल हमारे सामने संकट सिर्फ यही नहीं है।
हर तरह की मिलावट से मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है।
पर, इस देश में मिलावट करने वाले राक्षसों को रिश्वत लेकर सरकारी महकमा अभय दान दे देता रहता है।
कितनों को सजा होती है ?
गेहूं से लेकर दूध तक और पनीर से लेकर दवा तक सब मिलावटी हैं।
मैं तो कच्चा आम खरीद कर घर में पकाता हूं और मिठाई की जरूरत हो तो पटना जं.के पास महावीर मंदिर जाकर वहां का विशेष लड्डू चढ़ा कर ले आता हूं।
बाकी फल -मिठाई के फेर में आप पड़े तो देर सवेर गए काम से !
जल संकट और मिलावट से अपना शरीर और अपनी अगली पीढ़ी को बचाने के लिए लोगों को गांवों की ओर लौटना चाहिए,जो लौट सकें।
यदि आपके पास थोड़ी भी जमीन है तो वहां जाकर आप जैविक खेती कर सकते हैं। विकेंद्रित जल प्रबंधन के काम में योगदान दे सकते हैं।यदि आप कोई छोटा -मोटा रोजगार कर सकते हैं तो गांवों की ओर लौटिए। देश-विदेश से लौट कर अनेक युवजन गावों में खेती कर भी रहे हैं।जान है तो जहान है !
गांवों तक बिजली तो पहुंच ही गई है।बाकी का इंतजाम खुद करिए।पढ़े -लिखे व ईमानदार लोग स्थानीय प्रशासन पर दबाव डाल कर अनेक कागजी योजनाओं को सरजमीन पर उतार सकते हैं।
कुछ कम ही कमाइएगा,पर आप और आपका परिवार शासन प्रायोजित जहर खोरी के शिकार होने से तो बच जाएंगे।
सब लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं।पर जो कर सकते हैं,उन्हें करना चाहिए।
मुझे तो लगता है कि हमारे शासकों को भी प्रलय मंजूर है,लेकिन भोज्य व खाद्य पदार्थों में भारी मिलावट को रोकना मंजूर नहीं है।
यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि अपने देश में मिलावट के लिए सिर्फ 6 माह से लेकर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है।एक हजार रुपए जुर्माना है।जबकि बंगला देश सरकार इस अपराध के लिए फांसी या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करने पर विचार कर रहा है।
नेपाल तक हमारा फल -सब्जी गुणवत्ता की गड़बड़ी को लेकर बोर्डर पर रोक देता है।पर ,हमारे अफसर घूस लेकर न जाने कितना जहर इस देश में आने देते हैं।
जुलाई 2019
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