रविवार, 21 जुलाई 2019

  विवादास्पदों के निष्कासन में दोहरा मापदंड !
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भाजपा ने हथियार लहराने के आरोप में उत्तराखंड के अपने विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया।
 बहुत अच्छा किया।ऐसे लोगों को सार्वजनिक जीवन में रहने का कोई हक नहीं।
  पर, विधायक आकाश विजयवर्गीय और सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का क्या हुआ ?
उन्हें भी तो भाजपा ने कारण बताओ नोटिस दे रखे हैं।
क्या यह भाजपा का दोहरा मापदंड नहीं है ?
दरअसल बात इतनी ही नहीं है।
कार्रवाई भी तभी होती है जब स्टिंग में पकड़े जाते हैं।
  2006 में संसद ने 10 लोक सभा सदस्यों और एक राज्य सभा सदस्य की सदन की सदस्यता समाप्त कर दी थी।
10 पर प्रश्न पूछने के लिए पैसे लेने का आरोप था।राज्य सभा  के सपा सदस्य पर सांसद फंड में कमीशन लेने का आरोप था।ये सभी 11 सांसद  टी.वी.के स्टिंग आपरेशन में पकड़ में आ गए थे।
पूरी दुनिया ने उन्हें देखा था। राजनीतिक दलों को लाज लगी और उन्हें निकाल दिया गया।
निष्कासित सांसदों में अधिकतर भाजपा के थे।बाकी कांग्रेस,राजद, बसपा और सपा के थे।
सपा के निष्कासित राज्य सभा सांसद को तो बाद में भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था।
यानी, जो स्टिंग में पकड़ा जाएगा,सिर्फ वही निकाला जाएगा ?
अन्य जन प्रतिनिधियों में से कौन क्या कर रहा है,वह बात किसी से छिपी रहती है ?
ऐसे लोगों की खुफिया जांच करवा कर खुद राजनीतिक दल कार्रवाई क्यों नहीं करते ?
 शायद मैं दलों से कुछ अधिक की उम्मीद कर रहा हूं !



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