कितनी योजनाएं कागजी !
कितनी सरजमीन पर ?
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आम लोगों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग -अलग और मिलकर जन कल्याण व आम विकास की सैकड़ों योजनाएं चलाती रहती हैं।
उनके लिए हर साल अरबों-अरब रुपए खर्च किए जाते हैं।
कुछ योजनाएं दिखाई पड़ती हैं। उनके लाभ भी लोगों तक पहुंचते हैं।
पर,यह आरोप भी लगता रहता है कि अन्य अनेक योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चलाई जाती हैं । उन मदों के पैसों की बंदरबांट हो जाती है।
ऐसी योजनाओं के नाम भी कम ही लोगों को मालूम हो पाते हैं।
क्या यह सच है ?
इसकी सत्यता का पता आखिर कैसे चलेगा ?
दोनों सरकारों की कुल योजनाओं के नाम अखबारों में विज्ञापन के रूप में छपवाए जाने चाहिए । इससे आसपास देख कर आम लोग यह जान सकेंगे कि उनके नाम पर पैसों की सिर्फ लूट हो रही है या उसे सरजमीन पर लगाया जा रहा है।
कितनी सरजमीन पर ?
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आम लोगों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग -अलग और मिलकर जन कल्याण व आम विकास की सैकड़ों योजनाएं चलाती रहती हैं।
उनके लिए हर साल अरबों-अरब रुपए खर्च किए जाते हैं।
कुछ योजनाएं दिखाई पड़ती हैं। उनके लाभ भी लोगों तक पहुंचते हैं।
पर,यह आरोप भी लगता रहता है कि अन्य अनेक योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चलाई जाती हैं । उन मदों के पैसों की बंदरबांट हो जाती है।
ऐसी योजनाओं के नाम भी कम ही लोगों को मालूम हो पाते हैं।
क्या यह सच है ?
इसकी सत्यता का पता आखिर कैसे चलेगा ?
दोनों सरकारों की कुल योजनाओं के नाम अखबारों में विज्ञापन के रूप में छपवाए जाने चाहिए । इससे आसपास देख कर आम लोग यह जान सकेंगे कि उनके नाम पर पैसों की सिर्फ लूट हो रही है या उसे सरजमीन पर लगाया जा रहा है।
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