बुधवार, 17 जुलाई 2019

  कश्मीर में आइ.एस.बनाम हिजबुल मुजाहिद्दीन
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इस्लामिक स्टेट बनाम हिजबुल मुजाहिदीन-लश्कर ए तोयबा।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, इन दो अतिवादी इस्लामिक गिरोहों के बीच हाल में कश्मीर में हथियारी मुंठभेड़ हुई है।
  ये  गिरोह कश्मीर में अपने -अपने ढंग के खलीफा राज
स्थापित करने के लिए जेहाद कर रहे हैं।
 जब कश्मीर पर भारत का शासन है, तब तो ये जेहादी तत्व इतना सक्रिय हो गए हैं।
थोड़ी देर के लिए कल्पना करिए कि कश्मीर आजाद हो जाए ! तो उसका भी हाल क्या इराक -सिरिया तथा उन मुस्लिम देशों से अलग होगा जिसे बगदादी की सेना आई.एस.ने बर्बाद कर रखा है ?
इस तथ्य के बावजूद इस देश के कुछ तथाकथित सेक्युलर तत्व उन जेहादियों के प्रति सहानुभूति के भाव से भरे हुए हैं। 
इनमें से कुछ राजनीतिक कारणों से ऐसा करते हैं।कुछ को कहीं से पैसे मिलते हैं और कुछ अन्य दिग्भ्रमित हैं।
  एक बात साफ -साफ समझ लेनी चाहिए।भारत की कोई भी सरकार कश्मीर को आजादी नहीं दे सकती।
यदि दे देगी तो वह सरकार दूसरे ही दिन  गिर  जाएगी।साथ ही असम,केरल और पश्चिम बंगाल के खास इलाकों में  सक्रिय जेहादी तत्वों की गतिविधियां बेकाबू हो जाएंगी।
हालांकि वहां आज भी हालात चिंताजनक हैं।
  उधर कश्मीर के जेहादी तत्व भी नहीं मानने वाले हैं।इसलिए जो होना है,वह कश्मीर में ही हो जाए।यही भारत के हित में है भले भारत में ही रहने वाले राष्ट्र विरोधियों व टुकड़े -टुकड़े ‘गिरोहो’ं के हित में वह न हो।
हालांकि इस देश में बड़ी संख्या में ऐसे मुस्लिम भी हैं जो शांति से रहना चाहते हैं।
पर,उनके साथ दिक्कत यह है कि वे अपने बीच के अतिवादियों का कड़ा विरोध नहीं कर पाते जिस तरह हिन्दुओं के बीच के प्रगतिशील तत्व अतिवादी हिन्दुओं का खुलेआम कड़ा विरोध करते रहते हैं।
 उन ‘गिरोहो’ं में कुछ हिन्दू भी हैं और अधिक मुस्लिम हैं। 
 अगली पीढि़यों को सतर्क करने के लिए कुछ बातें साफ- साफ कही और लिखी जानी चाहिए चाहे भले आपको कोई तथाकथित ‘सेक्युलर’ मानने से कल से इनकार कर दे।
मध्य कालीन इतिहास लेखन के काम में बेईमानी करके खास विचारधारा वाले इतिहासकारों ने इस देश के साथ भारी अन्याय किया है। 
उसका परिणाम यह पीढ़ी भी भुगत रही है।
2019 
    

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