क्या कांग्रेस का पुनरुद्धार संभव है ?
पूरे देश में इन दिनों अनेक नेता, राजनीतिक विश्लेषक,पत्रकार व बुद्धिजीवी लोग इसी चर्चा में
व्यस्त हैं।
होगा भी या नहीं ?
पर, इस संबंध में मेरी भी एक राय है।
2014 के लोक सभा चुनाव में अभूतपूर्व हार के बाद ए.के.एंटोनी ने लिखित रूप में हार के कुछ ठोस कारण बताए थे।
सोनिया गांधी ने उनसे पूछा था।
क्या उन कारणों को दूर किए बिना पुनरुद्धार असंभव है ?
उनमें से दो कारण प्रमुख हैं।
एक अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और दूसरा भ्रष्टाचार।
यहां सामान्य अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण में कोई समस्या नहीं है।उनके भले के लिए तो हर दल को काम करना ही चाहिए।
पर,कांग्रेस के साथ समस्या है कि वह अल्पसंख्यकों के बीच के अतिवादियों यहां तक कि देशद्रोहियों तक का भी तुष्टिकरण व समर्थन करती रही है।
भ्रष्टाचार का मतलब सामान्य भ्रष्टाचार नहीं बल्कि घोटाला दर घोटाला।कभी- कभी महा घोटाला।
दाल में नमक के बराबर भ्रष्टाचार को तो आज कम ही लोग बुरा मानते हैं।
क्या कांग्रेस इन दो गंभीर बुराइयों को खुद से दूर कर
सकती है ?
चाहे तो कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अतिवादी तुष्टिकरण से तोबा कर सकती है।
घोटालों-महा घोटालों से दूर हो जाने की गंभीर कोशिश कांग्रेस की राज्य सरकारें तो कर ही सकती हैं ।
यदि ये दो बातें हो जाएं तो पुनरुद्धार की शुरुआत हो सकती है।नरेंद्र मोदी का मुकाबला तो फिर भी उनके लिए मुश्किल काम होगा।
कांग्रेस को ऐसा ठोस राजनीतिक विरोधी आज तक मिला ही नहीं था।
लेकिन मुझे तो लगता है कि वे ऐसा कोई सुधार करने की क्षमता अब खो चुके हैं।
क्योंकि कंबल से रोएं को अलग नहीं किया जा सकता है।
पूरे देश में इन दिनों अनेक नेता, राजनीतिक विश्लेषक,पत्रकार व बुद्धिजीवी लोग इसी चर्चा में
व्यस्त हैं।
होगा भी या नहीं ?
पर, इस संबंध में मेरी भी एक राय है।
2014 के लोक सभा चुनाव में अभूतपूर्व हार के बाद ए.के.एंटोनी ने लिखित रूप में हार के कुछ ठोस कारण बताए थे।
सोनिया गांधी ने उनसे पूछा था।
क्या उन कारणों को दूर किए बिना पुनरुद्धार असंभव है ?
उनमें से दो कारण प्रमुख हैं।
एक अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और दूसरा भ्रष्टाचार।
यहां सामान्य अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण में कोई समस्या नहीं है।उनके भले के लिए तो हर दल को काम करना ही चाहिए।
पर,कांग्रेस के साथ समस्या है कि वह अल्पसंख्यकों के बीच के अतिवादियों यहां तक कि देशद्रोहियों तक का भी तुष्टिकरण व समर्थन करती रही है।
भ्रष्टाचार का मतलब सामान्य भ्रष्टाचार नहीं बल्कि घोटाला दर घोटाला।कभी- कभी महा घोटाला।
दाल में नमक के बराबर भ्रष्टाचार को तो आज कम ही लोग बुरा मानते हैं।
क्या कांग्रेस इन दो गंभीर बुराइयों को खुद से दूर कर
सकती है ?
चाहे तो कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अतिवादी तुष्टिकरण से तोबा कर सकती है।
घोटालों-महा घोटालों से दूर हो जाने की गंभीर कोशिश कांग्रेस की राज्य सरकारें तो कर ही सकती हैं ।
यदि ये दो बातें हो जाएं तो पुनरुद्धार की शुरुआत हो सकती है।नरेंद्र मोदी का मुकाबला तो फिर भी उनके लिए मुश्किल काम होगा।
कांग्रेस को ऐसा ठोस राजनीतिक विरोधी आज तक मिला ही नहीं था।
लेकिन मुझे तो लगता है कि वे ऐसा कोई सुधार करने की क्षमता अब खो चुके हैं।
क्योंकि कंबल से रोएं को अलग नहीं किया जा सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें