धारा-370 पर डा.आम्बेडकर बनाम नेहरू-शेख अब्दुल्ला
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समाज में लोगों के बीच यह धारणा बनाई गई है
कि डा.आम्बेडकर ने ही संविधान की धारा 370 का मसौदा तैयार किया था।
मगर यह सच नहीं है।
डा.आम्बेडकर ने खुद अपने संस्मरण में इसका खंडन किया है।
उन्होंने लिखा है कि जब सन 1949 में संविधान की धाराओं का ड्राफ्ट तैयार हो रहा था ,तब शेख अब्दुला मेरे पास आए।
बोले कि नेहरू ने मुझे आपके पास यह कह कर भेजा है कि आप आम्बेडकर से कश्मीर के बारे में अपनी इच्छा के अनुसार ड्राफ्ट बनवा लीजिए जिसे संविधान में जोड़ा जा सके।
डा.आम्बेडकर ने साफ शब्दों में लिखा है कि ‘मैंने शेख अब्दुल्ला की बातें ध्यान से सुनीं।उनसे कहा कि एक तरफ तो आप चाहते हो कि भारत कश्मीर की रक्षा करे।
कश्मीरियों को खिलाए-पिलाए।
उनके विकास के लिए प्रयास करे।
कश्मीरियों को भारत के सभी प्रांतों में सुविधाएं और अधिकार दिए जाएं।
किंतु भारत के अन्य प्रांतों के लोगों को कश्मीर में वैसी ही सुविधाओं और अधिकारों से वंचित रखा जाए।
आपकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि आप भारत के अन्य प्रांत के लोगों को कश्मीर में समान अधिकार देने के खिलाफ हैं।’
यह कह कर आम्बेडकर ने शेख से कहा कि ‘मैं कानून मंत्री हूं।
मैं अपने देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता।
....................................जब आम्बेडकर ने शेख अब्दुल्ला से संविधान में उसके अनुसार ड्राफ्ट जोड़ने से यह कह कर साफ मना कर दिया कि मैं देश के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता,तब नेहरू ने गोपालस्वामी अयंगार को बुलवाया।
वे संविधान सभा के सदस्य थे और कश्मीर के राजा हरि सिंह के दीवान रह चुके थे।
प्रधान मंत्री के तौर पर नेहरू ने अयंगार को आदेश दिया कि शेख साहब जो भी चाहते हैं,संविधान की धारा 370 में वैसा ही ड्राफ्ट बना दिया जाए।
--- 27 जुलाई 2019 के राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित
कुमार समीर के लेख का अंश।
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दरअसल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को ठीक से पहचाना नहीं था।
इसीलिए 1953 में शेख को गिरफ्तार करना पड़ा था।
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समाज में लोगों के बीच यह धारणा बनाई गई है
कि डा.आम्बेडकर ने ही संविधान की धारा 370 का मसौदा तैयार किया था।
मगर यह सच नहीं है।
डा.आम्बेडकर ने खुद अपने संस्मरण में इसका खंडन किया है।
उन्होंने लिखा है कि जब सन 1949 में संविधान की धाराओं का ड्राफ्ट तैयार हो रहा था ,तब शेख अब्दुला मेरे पास आए।
बोले कि नेहरू ने मुझे आपके पास यह कह कर भेजा है कि आप आम्बेडकर से कश्मीर के बारे में अपनी इच्छा के अनुसार ड्राफ्ट बनवा लीजिए जिसे संविधान में जोड़ा जा सके।
डा.आम्बेडकर ने साफ शब्दों में लिखा है कि ‘मैंने शेख अब्दुल्ला की बातें ध्यान से सुनीं।उनसे कहा कि एक तरफ तो आप चाहते हो कि भारत कश्मीर की रक्षा करे।
कश्मीरियों को खिलाए-पिलाए।
उनके विकास के लिए प्रयास करे।
कश्मीरियों को भारत के सभी प्रांतों में सुविधाएं और अधिकार दिए जाएं।
किंतु भारत के अन्य प्रांतों के लोगों को कश्मीर में वैसी ही सुविधाओं और अधिकारों से वंचित रखा जाए।
आपकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि आप भारत के अन्य प्रांत के लोगों को कश्मीर में समान अधिकार देने के खिलाफ हैं।’
यह कह कर आम्बेडकर ने शेख से कहा कि ‘मैं कानून मंत्री हूं।
मैं अपने देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता।
....................................जब आम्बेडकर ने शेख अब्दुल्ला से संविधान में उसके अनुसार ड्राफ्ट जोड़ने से यह कह कर साफ मना कर दिया कि मैं देश के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता,तब नेहरू ने गोपालस्वामी अयंगार को बुलवाया।
वे संविधान सभा के सदस्य थे और कश्मीर के राजा हरि सिंह के दीवान रह चुके थे।
प्रधान मंत्री के तौर पर नेहरू ने अयंगार को आदेश दिया कि शेख साहब जो भी चाहते हैं,संविधान की धारा 370 में वैसा ही ड्राफ्ट बना दिया जाए।
--- 27 जुलाई 2019 के राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित
कुमार समीर के लेख का अंश।
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दरअसल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को ठीक से पहचाना नहीं था।
इसीलिए 1953 में शेख को गिरफ्तार करना पड़ा था।
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