बुधवार, 3 जुलाई 2019

धावा दलों के अलावा रिश्वतखोरों के खिलाफ स्टिंग आपरेशन भी जरूरी


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डी.जी.पी गुप्तेश्वर पांडेय पुलिस तंत्र को चुस्त करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। बार -बार उच्चस्तरीय बैठकें हो रही हैं। पर इन बैठकों का फील्ड अफसरों पर कम ही असर हो रहा है।

सरकारी योजनाओं की प्रगति और कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सरकारी धावा दल भी सक्रिय हैं। कर्मी घूस लेते पकड़े भी जा रहे हैं। पर भ्रष्टाचार है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है।

अपने मुख्यमंत्रित्व काल के प्रारंभिक दिनों में नीतीश कुमार ने लोगों से अपील की थी कि वे उन भ्रष्ट सरकारी कर्मियों का स्टिंग आपरेशन करें जिन पर घूस लेने का अक्सर आरोप लगता है। बिहार प्रशासनिक सेवा संघ ने इसका सार्वजनिक रूप से विरोध कर दिया। तर्क था कि इससे प्रशासन में पस्तहिम्मती आएगी।

पर सवाल है कि तब से अब तक प्रशासनिक सेवा संगठनों ने अपने बीच व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए क्या किया ? दूसरी ओर सरकारी दफ्तरों की इस मामले में हालत बिगड़ती ही जा रही है। कुछ अन्य उपाय भी करने होंगे। दरअसल धावा दल के साथ -साथ शासन को चाहिए कि वह स्टिंग आपरेशन भी कराए। यह काम प्रामाणिक एजेंसियों को  सौंपा जा सकता है। या कोई स्वयं करता है तो सरकार उसे अच्छा -खासा इनाम देकर प्रोत्साहित करे।

सूचना देने वालों को इनाम

आज भी आयकर महकमा उन लोगों को भारी इनाम देता है जो कर वंचकों के बारे में जानकारियां देते हैं। सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी के शासनकाल में काला धन के बारे में सूचना देने वालों के लिए इनाम देने का प्रावधान था।

सही सूचना देने पर एक बार चंद्रशेखर, जो बाद में प्रधानमंत्री बने, को भी सरकार ने इनाम दिया था। बिहार में कुछ सरकारी कर्मियों के बारे में यह कहा जाता है कि वे आॅफिस आने के लिए वेतन लेते हैं और काम करने के लिए नजराना और शुकराना।

ऐसे ‘नजराना-शुकराना’ वालों के खिलाफ शासन को सूचना मुहैया कराए या फिर स्टिंग आपरेशन का सबूत कोई दे तो राज्य सरकार को चाहिए कि वह उन्हें इनाम दे। अब तो स्मार्ट फोन अनेक हाथों में रहता है। इसलिए स्टिंग को काम आसान है।

माप-तौल महकमे की निष्क्रियता  

कम माप- तौल की शिकायत पुरानी है। व्यापक है। पर उस अनुपात में प्रशासनिक इंतजाम नहीं है। चूंकि उपभोक्ता तराजू लेकर तो खरीददारी करने जाता नहीं, इसलिए उसका फायदा मुनाफाखोर खूब उठाते रहते हैं।

जिस तरह कुछ महकमों के कामकाज की पड़ताल के लिए बिहार सरकार ने धावा दलों से काम लेना शुरू किया है, उसी तरह कम माप -तौल के मामले में भी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होनी ही चाहिए। कई साल हुए। मैंने पटना के न्यू मार्केट से दो किलोग्राम लीची खरीदी। घर आकर तौला तो डेढ़ किलोग्राम ही निकली।

समझदार राहुल गांधी !

कौन कहता है कि राहुल गांधी कभी समझदार नेता नहीं बन सकते !
कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने का राहुल गांधी का निर्णय अत्यंत समझदारी भरा है।

दरअसल वे समझ गए हैं कि जब तक नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी आमने-सामने रहेंगे, तब तक मोदी की बल्ले -बल्ले ही रहेगी। कांग्रेस इसी तरह दुबली होती जाएगी। नतीजतन कांग्रेस के भले के लिए ही राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा वापस न लेने का अंतिम निर्णय कर लिया है।

भूली बिसरी याद

आपातकाल में जेपी की गिरफ्तारी का विवरण चंद्रशेखर के शब्दों में --
‘साढ़े तीन बजे भोर में हमारे पास अचानक फोन आया कि जेपी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस गांधी शांति प्रतिष्ठान पहुंच गई है। हमलोग गांधी शांति प्रतिष्ठान पहुंचे।

जब हम पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में आए तो वे लोग जेपी को अंदर ले गए। मैं साथ जा रहा था तो एक दारोगा ने मुझे रोक दिया। मैं बाहर खड़ा था। उसी समय कोई डी.एस.पी. या डिप्टी कमीश्नर आया। उन्होंने वहां स्थानीय एस.पी. के कान में कुछ कहा। उन्होंने मुझे कहा कि आपसे अलग से बात करना चाहते हैं।

बाहर जाकर उन्होंने कहा कि जेपी के लिए गाड़ी आ गई है। मेरी हिम्मत नहीं होती यह कहने की। आप उनसे कहिए। आपको तो दूसरी जगह जाना है। मैं समझ नहीं पाया। पूछा, क्या मुझ पर भी वारंट है ? उसने कहा, हां, पुलिस आपके घर गई थी।

उसी समय यू.एन.आई. के संवाददाता अरूण कुमार भी आ गए। जेपी से मैंने कहा कि आप तो जाइए आपकी गाड़ी आ गई है। मुझे दूसरी जगह जाना है। उन्होंने पूछा, आप भी गिरफ्तार हैं ? मैंने कहा, हां, तभी उन्होंने थाने से निकलते हुए कहा, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि।’

और अंत में

भारतीय महिलाएं औसतन रोज छह घंटे घर के काम करती हैं। यह चीन की महिलाओं से 40 प्रतिशत अधिक है।

(28 जून 2019 को प्रभात खबर-बिहार- में प्रकाशित मेरे साप्ताहिक काॅलम कानोंकान से)


कोई टिप्पणी नहीं: