शनिवार, 27 जुलाई 2019

फंे्रड इन नीड, इज ए फें्रड इनडीड
यानी, मित्र वही जो समय पर काम आए
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इजराइल ने हमारे फाइटर जेट्स के लिए लेजर गाइडेड मिसाइलें प्रदान कीं।
इजराइल ने कारगिल की उंचाइयों पर पाक की स्थिति के बारे में अपनी जानकारी भारत से साझा की थी।
  अमेरिका समेत कई देशों ने  भारत को हथियारों की डिलीवरी में देरी करने के लिए इजराइल पर दबाव डाला था।लेकिन इजराइल ने दबाव को खारिज कर त्वरित मदद की।
    --राष्ट्रीय सहारा में अंशुल सक्सेना की टिप्पणी
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अब समझ में आया कि देश के भीतर व बाहर के भारत विरोधी लोग क्यों इजराइल का लगातार विरोध करते रहे हैं ?
यह भी याद रहे कि 1992 में ही भारत ने इजराइल को मान्यता दी थी।
उससे पहले नहीं।
किसके प्रभाव में आकर भारत सरकार ने उससे पहले मान्यता नहीं दी थी ?

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इसके विपरीत स्थिति क्या रही थी ?
आजादी के बाद भारत ने चीन को भाई और सोवियत संघ को मित्र माना।
पर, जब चीन ने 1962 में भारत पर हमला किया तो सोवियत संघ ने भारत की मदद क्यों नहीं की ?
क्यों तब चीन से इस देश को बचाने के लिए नेहरू को अमेरिका की चिरौरी करनी पड़ी ?
एक लेखक ने तो प्रावदा को उधृत करते हुए यह भी लिखा है कि चीन ने भारत पर चढ़ाई करने से पहले सोवियत संघ से सहमति ले ली थी।
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कोई भी अन्य देश, देशों के बीच से दोस्तों का चुनाव करते समय अपने राष्ट्रीय हितों का ही अधिक ध्यान रखता रहा है।
पर अपना देश......? ! ! ! 


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