क्या कफन में भी होती हंै जेबें ?!
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खनन घोटाले के सिलसिले में सी.बी.आई.ने उत्तर
प्रदेश के एक चर्चित पूर्व मंत्री और चार आई.ए.एस.
अफसरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
इस मामले में एक पूर्व मुख्य मंत्री भी देर-सवेर जांच के
लपेटे में आ सकते हैं।
हाल के दशकों में सरकारी-गैर सरकारी भ्रष्टाचार और घोटालों के सिलसिले में कई नेता,अफसर और व्यापारी
जेल गए।
कुछ जेल यात्रा के कारण ही मरे भी।
कुछ अन्य अब भी मुकदमों का सामना कर रहे हैं ।
कुछ अन्य जेल में सड़ रहे हैं।
भ्रष्टाचार व अपराध के कारणों से कुछ दल व राजनीतिक परिवार बर्बाद भी हो रहे हैं।
संकेत साफ हंै कि अगले चार-पांच साल के भीतर इस देश की अन्य अनेक बड़ी राजनीतिक व गैरराजनीतिक हस्तियां जेल की हवा खाने वाली हैं।
आखिर कब तक बेल पर रह पाएंगे वे ?
इसके बावजूद अनेक प्रभावशाली लोगों में अपार धन की हवस कम ही नहीं हो रही है।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ?
क्या भ्रष्टाचार निरोधक कानून नाकाफी हैं ?
या, सजा की दर कम है ?
या फिर वे समझते हैं कि कफन में भी जेबें हुआ करती हैं ?
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