सोमवार, 15 जुलाई 2019

जेपी और आर.एस.एस.
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जय प्रकाश नारायण ने 6 मार्च, 1975 को दिल्ली
में आयोजित विशाल प्रदर्शन के अवसर पर अपने भाषण में कहा था कि 
‘अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फासी है तो मैं भी फासी हूं।’
 जेपी के निजी सचिव रहे सच्चिदानंद ने 13 अप्रैल 1980 के दिनमान में लिखे अपने लेख में यह ऐतिहासिक तथ्य दर्ज किया है।
सच्चिदानंद लिखते हैं कि अपने आंदोलन में संघ को शरीक करने के कारण कांग्रेस और माकपा के लोग जेपी की कटु आलोचना करते थे।
वे कहते थे कि संघ एक फासी संगठन है और जेपी इस संगठन को बढ़ावा देकर फासीवाद की मदद कर रहे हैं।
जेपी उनकी आलोचना
का उस दिन जवाब दे रहे थे।
  पर सच्चिदानंद जी ने इतना ही भर नहीं लिखा।
उन्होंने यह भी लिखा कि अपने आंदोलन के दौरान जेपी अनेक बार संघ के शिविरों में शामिल हुए।
ऐसा ही एक शिविर 13 मई 1975 को कालीकट में हुआ था।
शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए जेपी ने कहा था कि 
मैं तो वह दिन देखना चाहता हूं कि आर.आर.एस. में मुसलमान
युवक भी होंगे और ईसाई युवक भी होंगे।
आज भी जहां -तहां शायद हों, मैं नहीं कह सकता।
अधिक संख्या में वे हों और उनको लगे कि जैसे हिन्दू युवकों को ,बालकों को संघ की शिक्षा प्राप्त करने का ,कवायद सीखने का अधिकार है, वैसे ही उनको भी हो।
समय आएगा,जब संघ निर्णय करेगा कि हमारे दरवाजे सबके लिए खुले हैं।
आज भी आपके उपर के लोगों से मेरी बातें होती हैं तो मुझे कुछ आशा होती है कि मानस इस प्रकार का बन रहा है,और वह दिन मैं बहुत जल्द देखना चाहता हूं।’   
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