मंगलवार, 23 जुलाई 2019

नेहरू युग के एक बहुत बड़े व नामी-गिरामी वामपंथी इतिहासकार ने समकालीन
इतिहासकारों से कहा था कि आप महाराणा प्रताप और शिवाजी के पराक्रम और साहस के बारे में कुछ न लिखें क्योंकि उससे संप्रदायवाद के फैलने का खतरा है।
  जानकार लोग बताते हैं कि वामपंथी इतिहासकारों ने
वैसा ही किया।
बल्कि उन लोगों ने  दूसरे सत्ताधारियों का महिमामंडन किया जिन्हें आम भारतीय कम ही पसंद  करते हैं।
   कुछ अन्य जानकार लोग बताते हैं कि यह संयोग नहीं था कि जवाहरलाल नेहरू के प्रथम मंत्रिमंडल में राजपूत या मराठा जाति का एक भी  कैबिनेट मंत्री नहीं था।
  जबकि दूसरी ओर राणा प्रताप की सेना के सेनापति का नाम हकीम खान सूरी था।
शिवाजी की सेना व सरकार में बड़ी संख्या में मुस्लिम बड़े पदों पर थे। 
  एक राजनीतिक विश्लेषणकत्र्ता के अनुसार भाजपा व नरेंद्र मोदी के उदय के कारणों में यह सब कारण भी शामिल रहे । 

  

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