शुक्रवार, 9 अगस्त 2019


    अगस्त क्रांति में बिहार प्रांत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बताते हुए ब्रिटेन के एक प्रमुख नेता एमरी ने 11 सितंबर 1942 को हाउस आॅफ कामन में कहा था कि 
‘बिहार में उपद्रव विशेष रूप से उग्र है ।’
  इतिहासकार डा.के.के.दत्त के अनुसार ,‘बिहार ने राष्ट्रीय आंदोलन के क्रमबद्ध रुपों में 
अद्भुत और प्रेरक भूमिका निभाई है।
सचमुच विभिन्न कालों में स्वतंत्रता के लिए देश की पुकार पर बिहार का उत्तर मुखर और सफल था।’
  पटना स्थित बिहार विधान मंडल भवन के ठीक सामने ऊंची प्रस्तर पीठिका पर  एक साथ सात शहीदों की मूत्र्तियां लगी हुई हैं।
अगस्त क्रांति के समय ये सचिवालय पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के क्रम में शहीद हुए थे। ग्यारह अगस्त 1942 को सचिवालय पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई थी।
भीड़़ को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने 14 राउंड गोलियां चलाईं।
सात छात्र घटनास्थल पर ही शहीद हो गये।  इससे पहले 1917 में चम्पारण में सत्याग्रह की शुरूआत करके गांधी ने बिहार को गर्मा ही दिया था।
   1857 के बाबू वीर कुंवर सिंह के शौर्य को कौन नहीं जानता !

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