जो रहीम उत्तम प्रकृति,
का करी सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापे नहीं,
लिपटे रहत भुजंग।।
यह बात कभी के लिए सही थी।
अनुभव बताते हैं कि आज के लिए सही नहीं है।
इसलिए आज सावधानी जरूरी है।
अन्यथा,
सावधानी हटी,दुर्घटना घटी !
का करी सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापे नहीं,
लिपटे रहत भुजंग।।
यह बात कभी के लिए सही थी।
अनुभव बताते हैं कि आज के लिए सही नहीं है।
इसलिए आज सावधानी जरूरी है।
अन्यथा,
सावधानी हटी,दुर्घटना घटी !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें