मझधार में नैया डोले,
तो माझी पार लगाये।
माझी जो नाव डुबोये,
उसे कौन बचाये !
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कोई कपूत यदि अपने वंश को डूबो दे तो उससे
सिर्फ कोई एक वंश डूबता है।
पर, यदि कोई कपूत किसी संगठन को डूबो दे
तो उस संगठन से जुड़े सैकड़ों वंश डूब जाते हैं।
अब सवाल है कि सैकड़ों वंशों की महत्वाकांक्षाओं
को डूबने से कैसे बचाया जाए ?
शायद संभव नहीं।क्योंकि बातें अब बहुत बिगड़ चुकी हैंं।
बचाने की क्षमता अब बची ही नहीं है।
ठीक ही कहा गया है-मांझी जो नाव डूबोये तो कौन बचाए !
नतीजतन यह अकारण नहीं है कि कुछ डूबते जहाजों से चूहे निकल-निकल कर सुरक्षित जगहों में शरण ले रहे हैं।
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कृपया कोई राजनीतिक पार्टी या उसके समर्थक इसे अपने
ऊपर न लें।
यह बात किसी व्यापारिक संगठन पर भी लागू होती है।
हालांकि आज कुछ राजनीतिक संगठनों और व्यवसायी
संगठनों में कम ही अंतर रह गया है।
तो माझी पार लगाये।
माझी जो नाव डुबोये,
उसे कौन बचाये !
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कोई कपूत यदि अपने वंश को डूबो दे तो उससे
सिर्फ कोई एक वंश डूबता है।
पर, यदि कोई कपूत किसी संगठन को डूबो दे
तो उस संगठन से जुड़े सैकड़ों वंश डूब जाते हैं।
अब सवाल है कि सैकड़ों वंशों की महत्वाकांक्षाओं
को डूबने से कैसे बचाया जाए ?
शायद संभव नहीं।क्योंकि बातें अब बहुत बिगड़ चुकी हैंं।
बचाने की क्षमता अब बची ही नहीं है।
ठीक ही कहा गया है-मांझी जो नाव डूबोये तो कौन बचाए !
नतीजतन यह अकारण नहीं है कि कुछ डूबते जहाजों से चूहे निकल-निकल कर सुरक्षित जगहों में शरण ले रहे हैं।
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कृपया कोई राजनीतिक पार्टी या उसके समर्थक इसे अपने
ऊपर न लें।
यह बात किसी व्यापारिक संगठन पर भी लागू होती है।
हालांकि आज कुछ राजनीतिक संगठनों और व्यवसायी
संगठनों में कम ही अंतर रह गया है।
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