पीपल देवता , वायु प्रदूषण और अल्ट्रा सेक्युलर छवि
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जब हाल में वायु प्रदूषण कंट्रोल से बाहर होने लगा तो
किसी राज्य के मुख्य मंत्री ने अपनी सरकार के वन विभाग के अफसरों से कहा कि आप लोग राज्य में बड़े पैमाने पर पीपल के पेड़ लगवाइए।
अफसरों ने कहा कि सरकारी स्तर पर पीपल लगाने पर पहले की सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है।
याद रहे कि पीपल वृक्ष चैबीसों घंटे आक्सीजन देते
हैं।पीपल पर जल चढ़ाने और पूजा करने की भारतीय संस्कृति के पीछे यही कारण है।क्योंकि यह जीवन दायी है।
मेरे बचपन में मेरे गांव में पीपल का पौधा कहीं यूं ही उग आया तो उसे जल्दी कोई काटता नहीं था भले उससे दीवाल को क्षति पहुंच रही हो।
न ही कोई सांप मारता था।
कहते थे कि उससे पाप लगता है।
एक जानकार ने हाल में लिखा है कि यदि 500 मीटर की दूरी पर पीपल के पेड़ लग जाएं तो वायु प्रदूषण की समस्या समाप्त हो जाएगी।
अब आप अंदाज लगाइए कि सरकार द्वारा पीपल लगाने पर कभी प्रतिबंध क्यों लगा होगा ?
कुछ अनुमान लगाइए।
ठोस जानकारी भी हो तो बताइए।
इस बीच मैं अनुमान लगाता हूं।
संभवतः किसी अल्ट्रा सेक्युलर सरकार ने सोचा होगा कि यदि सड़कों के किनारे पीपल के पेड़ लगेंगे तो उसके पास पूजा होने लगेगी।
कहीं- कहीं पीपल देवता के नाम पर छोटी -छोटी वेदियां बैठा दी जाएंगी।
उसके बाद ‘ आइडिया और इंडिया व विश्व दृष्टि रखने वाले अति अल्ट्रा सेक्युलर राजनीतिक’ लोग आरोप लगाएंगे कि सरकार सार्वजनिक धन से मंदिर बनवा रही है।
फिर हमारा वोट बैंक गड़बड़ा जाएगा।
भले वायु प्रदूषण से लोगों की मौत पर मौत होने लगे,पर एक भी वोट नहीं गड़बड़ाना चाहिए।
क्या यह कारण हो सकता है ?
क्या रहा होगा ऐसा कोई कारण ?
यदि पीपल पर प्रतिबंध का किसी जानकार को कोई दूसरा कारण मालूम हो तो जरूर बताएं ताकि ,मेरी यदि है तो, अपनी गलतफहमी दूर कर लूं।
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जब हाल में वायु प्रदूषण कंट्रोल से बाहर होने लगा तो
किसी राज्य के मुख्य मंत्री ने अपनी सरकार के वन विभाग के अफसरों से कहा कि आप लोग राज्य में बड़े पैमाने पर पीपल के पेड़ लगवाइए।
अफसरों ने कहा कि सरकारी स्तर पर पीपल लगाने पर पहले की सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है।
याद रहे कि पीपल वृक्ष चैबीसों घंटे आक्सीजन देते
हैं।पीपल पर जल चढ़ाने और पूजा करने की भारतीय संस्कृति के पीछे यही कारण है।क्योंकि यह जीवन दायी है।
मेरे बचपन में मेरे गांव में पीपल का पौधा कहीं यूं ही उग आया तो उसे जल्दी कोई काटता नहीं था भले उससे दीवाल को क्षति पहुंच रही हो।
न ही कोई सांप मारता था।
कहते थे कि उससे पाप लगता है।
एक जानकार ने हाल में लिखा है कि यदि 500 मीटर की दूरी पर पीपल के पेड़ लग जाएं तो वायु प्रदूषण की समस्या समाप्त हो जाएगी।
अब आप अंदाज लगाइए कि सरकार द्वारा पीपल लगाने पर कभी प्रतिबंध क्यों लगा होगा ?
कुछ अनुमान लगाइए।
ठोस जानकारी भी हो तो बताइए।
इस बीच मैं अनुमान लगाता हूं।
संभवतः किसी अल्ट्रा सेक्युलर सरकार ने सोचा होगा कि यदि सड़कों के किनारे पीपल के पेड़ लगेंगे तो उसके पास पूजा होने लगेगी।
कहीं- कहीं पीपल देवता के नाम पर छोटी -छोटी वेदियां बैठा दी जाएंगी।
उसके बाद ‘ आइडिया और इंडिया व विश्व दृष्टि रखने वाले अति अल्ट्रा सेक्युलर राजनीतिक’ लोग आरोप लगाएंगे कि सरकार सार्वजनिक धन से मंदिर बनवा रही है।
फिर हमारा वोट बैंक गड़बड़ा जाएगा।
भले वायु प्रदूषण से लोगों की मौत पर मौत होने लगे,पर एक भी वोट नहीं गड़बड़ाना चाहिए।
क्या यह कारण हो सकता है ?
क्या रहा होगा ऐसा कोई कारण ?
यदि पीपल पर प्रतिबंध का किसी जानकार को कोई दूसरा कारण मालूम हो तो जरूर बताएं ताकि ,मेरी यदि है तो, अपनी गलतफहमी दूर कर लूं।
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