जेहाद के खिलाफ युद्ध.....हम और चीन
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चूंकि सवा दो करोड़ मुसलमानों वाले पश्चिमोत्तर प्रदेश शिनजियांग में धारा 370 की कोई समस्या नहीं रही है,इसलिए चीन उस प्रदेश में गैर मुसलमानों यानी हान को बसा रहा है।
चीन में हान समुदाय की जन संख्या कुल आबादी का 91 प्रतिशत है।
यदि चीन में 370 धारा होती भी तो चीन सरकार उसे देशहित में तुरंत उलट देती।
क्योंकि वह देश को ध्यान में रखती है न कि वोट बैंक को।
अब भारत में भी 370 को शिथिल कर दिया गया है।इसलिए संभव है कि 31 अक्तूबर के बाद भारत भी चीन की राह पर जाए।
चीन के शिनजियांग प्रांत के जेहादी मुसलमानों से
सन 2009 से चीन जेहादी आतंकवादी हिंसा का शिकार हो रहा है।
चीन एक ताकतवर देश है।
इसलिए वह अपने ढंग से कड़ाई से आतंकवादी तत्वों से निपट रहा है।वहां भारत की तरह भीतरघातियों की भी नहीं चलती।
पर, यहां बेहतर स्थिति यह है कि भारत में और कश्मीर में भी पूरी आबादी के अनुपात में जेहादियों की संख्या काफी कम है।
चीन सरकार हजारों जेहादी मुसलमानों को पेशेवर स्कूलों में भेज रही है। वे स्कूल आतंकवाद व कट्टरपंथ से लड़ना सिखाते हैं।
कुछ लोग कह रहे हैं कि हजारों मुसलमानों को चीन सरकार गायब कर रही है।
पर चीन सरकार कहती है कि वे अपनी मर्जी से उन स्कूलों में जा रहे हैं।
भारत के सेक्युलरिस्ट व कम्युनिस्ट भी चीन के इस तर्क से सहमत हैं।एक खास तरह के कम्युनिस्ट तो उससे हर बात में सहमत होते हैं।
इसीलिए उनकी ओर से इस सवाल पर चीन के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठ रही है।
हां, अपनी भारत सरकार के खिलाफ वे जरूर बात -बात में वाचाल रहते हैं।
उधर चीन समझ गया है कि पूरी दुनिया में खलीफा का शासन कायम करने की कोशिश करने वाले आतंकियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
कश्मीर में भी पहले स्वायत्तता और आजादी की लड़ाई थी।
अब जब वह लड़ाई जेहाद में बदल गई है तो भारत सरकार को भी हाल में कुछ कठोर कदम उठाने पड़े।
हालांकि चीन जैसा कठोर कदम फिर भी नहीं है।
फिर भी यह एक रिश्क है। इसके अपने खतरे हैं।
पर भारत के भीतर व बाहर के जो लोग भारत को हजार घाव देने पर सदा तत्पर रहते हैं,उनसे हजार महीनों में हजार घाव लेने से बेहतर है कि हजार दिन में ही निर्णय हो जाए !
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