गुरुवार, 8 अगस्त 2019

कल मेरी पत्नी सावन की पूजा के लिए पुश्तैनी गांव
गई थीं।
पता चला कि सारण जिला स्थित खान पुर-भरहा पुर बाजार बंद है।पूजा का सामान बगल के गांव की दुकान से मंगाना पड़ा।
मेरा गांव भरहा पुर है।
पता चला कि स्थानीय व्यवसायी जमालुद्दीन की सड़क दुर्घटना में मौत के शोक व रोष के कारण बाजार बंद रहा।
उस बाजार में संभवतः एक ही मुस्लिम परिवार है जो वहां व्यापार करता है।
पर बहुसंख्यक हिन्दुओं की जमालुद्दीन के प्रति एकजुटता तो देखिए।
  पूजा में बिक्री का भी ध्यान नहीं रखा और दुकानदारों ने बाजार बंद रखा।
जमालुद्दीन हमारे पारिवार के भी मित्र रहे।
  संभवतः इस देश के लाखों गांवों में अत्यंत अल्प संख्या में बसे मुसलमानों के प्रति ऐसा ही परंपरागत लगाव रहा है।
वह लगाव मैंने भी अपने बचपन में गांव में देखा है।
पर, इसी देश की घनी मुस्लिम आबादी से निकले कुछ अल्पसंख्यक नेता गण अपने तेजाबी बयान जारी करते समय अक्सर इस परंपरागत अपनापन को भूल जाते हैं। 
   

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