शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

   सोशल मीडिया की जिम्मेवारी
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सोशल मीडिया में और चाहे जो कमियां हों,पर एक
महत्वपूर्ण कमी उसने जरूर पूरी कर दी है।
  अब लगभग सारी बातें और सब पक्ष की बातें लोगों तक
पहुंच जा रही हैं।
  किसी न किसी बहाने सूचनाएं -जानकारियां -रोक कर
इतिहास का एकतरफा लेखन का एक उदाहरण देखिए-
नेहरू युग के एक मशहूर कम्युनिस्ट इतिहासकार ने इतिहासकारों को यह सलाह दी थी कि आप अपने लेखन में राणा प्रताप और शिवाजी की वीरता का गुणगान न करें अन्यथा देश में हिन्दू सांप्रदायिकता बढ़ेगी।
  अनेक तथाकथित इतिहासकारों ने इस सलाह का पालन भी किया।
यानी कई पीढि़यों ने अधूरा इतिहास पढ़ा।
ठीक ही कहा गया है कि जो अपने इतिहास से नहीं सीखता,वह उसे दुहराने को अभिशप्त होता है।
यहां इतिहास उपलब्ध हो तब तो सीखे !
आप कल्पना कीजिए कि उस ‘इतिहास की जानकारी विहीनता’ का देश को कितना नफा-नुकसान हुआ होगा !
  हां, इतिहास की जो बातें लोक श्रुतियों और किंवदंतियों में रहीं,उससे भी लोगों ने बहुत सारी बातें जान लीं।
   पर, सोशल मीडिया के जरिए हम आज की बहुत सारी बातें जान लेते हैं।कुछ अन्य लोग तो आज भी बहुत सारी बातंे छिपाते हैं या छिपाने की कोशिश करते हैंं।
जिस तरह कई बातें हम अर्नब गोस्वामी से जान लेते हैं तो कई अन्य बातें रवीश कुमार से।
सूचना में शक्ति है।इस देश के अधिकतर लोग होशियार हैं।उन्हें सारी जानकारियां दे दे दीजिए।वे देश के लिए सही निर्णय कर लेंगे।
   मैं भी अपने छात्र जीवन में ब्लिट्ज और करंट दोनों पढ़ता था।मजबूरी थी।
किसी एक से तो काम चलने वाला था नहीं !
अंत में,
सोशल मीडिया की बड़ी जिम्मेवारी है।इसलिए वह अधिक से अधिक  जिम्मेवार बनने का प्रयास करे।
अन्यथा लोग कह देंगे कि यह तो बंदर के हाथ में नारीयल   है।इससे कुछ लोग अपना ही या अपने देश का ही सिर फोड़ने का काम कर रहे  हंै।
 

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