रविवार, 25 अगस्त 2019

अरुण जेटली और रजत शर्मा
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1973 की बात है।
दिल्ली विश्व विद्यालय के एक काॅलेज के एडमिशन 
काउंटर पर लाइन लगी हुई थी।
एक छात्र को 3 रुपए घट रहा था।
क्लर्क कम लेने पर राजी नहीं हो रहा था।
पीछे के एक अपरिचित छात्र ने उसे पांच रुपए का नोट बढ़ा दिया।
उसका एडमिशन हो गया।
दोनों जब काउंटर से हटे तो दूसरे छात्र ने पहले से कहा कि चलिए ,चाय पिलाता हूं।
 चाय- वाय हुआ और उसके बाद दोनों ऐसे दोस्त बने कि अंत तक बने रहे।
  पंक्ति में आगे खड़े छात्र का नाम है रजत शर्मा।
पीछे खड़े छात्र के नाम का अनुमान लगाइए !
 खैर , वे थे अरुण जेटली !
एक दिन दोनों अपने -अपने क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचे।
रजत शर्मा ने कल भावुक होकर अपने चैनल पर कहा कि ‘जीवन भर अरुण जी मेरे फं्रेंड, फिलाॅस्फर और गाइड 
रहे ।कोई काम मैं उनसे पूछे बिना नहीं करता था।’
जिसके मित्र अरुण जेटली हों,उसे तो आगे जाना ही था।
हालांकि प्रतिभा की कमी रजत में भी नहीं ही है !


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